Hindi Newsदेश न्यूज़Ayodhya Muslim intellectuals in favour of giving disputed land for temple

अयोध्या: मुस्लिम बुद्धिजीवियों की मांग, राम मंदिर के लिए दी जाए विवादित जमीन

अयोध्या विवाद का मध्यस्थता के जरिए हल निकालने की एक और कोशिश शुरू हुई है। इसके लिए ‘इंडियन मुस्लिम फॉर पीस’ नाम के एक संगठन ने गुरुवार को गोमतीनगर स्थित एक होटल में बैठक की। इसमें ...

Rajesh Kumar हिन्दुस्तान, लखनऊ। Thu, 10 Oct 2019 08:39 PM
share Share

अयोध्या विवाद का मध्यस्थता के जरिए हल निकालने की एक और कोशिश शुरू हुई है। इसके लिए ‘इंडियन मुस्लिम फॉर पीस’ नाम के एक संगठन ने गुरुवार को गोमतीनगर स्थित एक होटल में बैठक की। इसमें  प्रस्ताव पारित किया गया कि करोड़ों हिन्दुओं की आस्था को देखते हुए विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी जाए। बैठक में कुल चार प्रस्ताव पारित हुए, जिन्हें बाबरी मस्जिद के पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के जरिए सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता कमेटी को भेजा जाएगा।
 

बुद्धिजीवियों ने इस संगठन को विवाद के हल की कोशिश के तहत बनाया है। बैठक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ले.जनरल जमीरुद्दीन शाह की अध्यक्षता में हुई। बाद में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीत भी गए तो वहां पर मस्जिद नहीं बना पाएंगे। क्योंकि अदालतें लोगों के जज्बात से बड़ी नहीं होती हैं। वतन में भाईचारा बनाए रखने और अमन के लिए जमीन उपहार के तौर पर हिन्दू भाइयों को दे देनी चाहिए। 
 

उन्होंने कहा कि बैठक में किसी उलमा को नहीं बुलाया गया था, क्योंकि ज्यादातर उलमा मध्यस्थता के पक्ष में नहीं है। मंदिर-मस्जिद से ज्यादा देश में अमन जरूरी है। इस मुद्दे को लेकर करीब दस हजार लोगों से बात की गई है। ज्यादातर लोग चाहते हैं कि जमीन हिन्दू पक्ष को दे दी जाए। बहुत से लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, यह उनका नजरिया है। हम लोग चाहते हैं कि यह फैसला कोर्ट के बाहर हो। बैठक में सेवानिवृत्त आईपीएस विभूति नारायण राय, पूर्व मंत्री मोईद अहमद, डॉ मंसूर हसन मौजूद रहे।

निर्मोही अखाड़े से भी हुई बात
प्रेस वार्ता में मौजूद पूर्व न्यायाधीश बीडी नकवी ने कहा कि हाल ही में राम मंदिर के पक्षकार निर्मोही अखाड़े से भी बात हुई है। उन्होंने कहा, बाबरी मस्जिद को लेकर हिन्दू पक्ष की विचारधारा बन चुकी है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। मुसलमानों को चाहिए कि वह इस विचारधारा को खत्म करें। इसके लिए भले ही उन्हें बाबरी मस्जिद की जमीन उपहार के तौर पर हिन्दू पक्ष को देनी पड़े। रिटायर आईपीएस विभूति नारायण राय ने कहा कि देश में अमन व शांति के लिए इस मसले का हल कोर्ट के बाहर मोहब्बत से होना चाहिए।

 

देश का बड़ा तबका सुलह चाहता है
प्रदेश के पूर्व एपीसी व रिटायर आईएएस अफसर अनीस अंसारी ने कहा कि यह देश का सबसे गंभीर साम्प्रदायिक मामला है। इसलिए देश का बड़ा तबका यह चाहता है कि इसका हल आपसी बातचीत के जरिए निकाला जाए। उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट को प्रस्ताव भेजा गया है कि बाबरी मस्जिद व राम जन्मभूमि मामले को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की जो पहल कोर्ट के बाहर चल रही है, उसमें वह शामिल होना चाहते हैं।

ये चार प्रस्ताव पास हुए 
-कोर्ट के बाहर मंदिर मस्जिद मसले का हल हो।
-मस्जिद बनाने के लिए कोई अच्छी जगह दी जाए।
-प्रोटेक्शन ऑफ रिलीजन कानून 1991 के तहत तीन महीने की सजा को बढ़ाकर तीन साल या उम्र कैद तक किया जाए।
-अयोध्या के रास्ते में जितनी भी मस्जिदें, दरगाह या इमामबाड़े हैं, उनकी मरम्मत की सरकार इजाजत दे।

बैठक के विरोध में प्रदर्शन
बैठक का कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध भी किया। इत्तेहादुल मुस्लिम मजालिस संगठन ने होटल के बाहर प्रदर्शन किया। संगठन का कहना है कि 18 अक्तूबर तक उच्चतम न्यायालय में मामले की सुनवाई होनी है। ऐसे में मध्यस्थता का क्या मतलब है। कुछ लोग सिर्फ अपनी रोटियां सेंकने के लिए आम लोगों को बहका रहे हैं। वहीं, इंडियन मुस्लिम लीग ने भी गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन किया। संगठन के मोहम्मद अतीक ने कहा कि बाबरी मस्जिद के नाम पर सौदेबाजी की जा रही है। 

अगला लेखऐप पर पढ़ें