अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट में सरकारी प्रतिनिधि को शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
अयोध्या में बनने वाली मस्जिद के 'इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन न्यास' में सुन्नी मुसलमान समुदाय से केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि नामित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।...

अयोध्या में बनने वाली मस्जिद के 'इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन न्यास' में सुन्नी मुसलमान समुदाय से केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि नामित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल नौ नवंबर को अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर एक न्यास द्वारा मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। साथ ही, केंद्र को निर्देश दिया था कि वह उत्तर प्रदेश के इस शहर में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित करे।
अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी और करूणेश कुमार शुक्ला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि निजी व्यक्तियों और राज्य सुन्नी बोर्ड के सदस्यों के अलावा केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की उपस्थिति आवश्यक है ताकि कोष का उचित प्रबंधन हो सके। याचिका में यह उम्मीद जताई गई है कि हजारों लोग इस्लामिक ट्रस्ट स्थल पर आएंगे और इसे देश-विदेश से चंदा मिलेगा। इसमें कहा गया है कि कोष और न्यास में निहित संपत्ति का उपयुक्त प्रबंधन होना चाहिए।
याचिका में कहा गया है, "यह जनहित में है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार को न्यास के कामकाज के बारे में पूरी प्रासंगिक सूचना हो ताकि लोक व्यवस्था को कायम रखा जा सके और यह सुनिश्चित हो सके कि कोई अनियमितता नहीं हो तथा किसी न्यास द्वारा कोष का दुरुपयोग नहीं हो।"
इसमें कहा गया है कि सरकार को यह निर्देश दिया जा सकता है कि वह न्यास में अपने अधिकारियों को नामित करने के लिए उसी तरह से प्रावधान करे, जैसा कि उसने केंद्र सरकार बनाए गए अयोध्या तीर्थ क्षेत्र न्यास के मामले में किया है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को परमादेश रूपी यह निर्देश जारी किया जाए कि वह इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में सुन्नी समुदाय से जुड़े केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रतिनिधि नामित करे।अयोध्या जिले के धन्नीपुर गांव में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन मस्जिद के लिए आवंटित की गई है।