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अयोध्या विवाद सुनवाई 18वां दिन : मुस्लिम पक्ष की दलील, छल से लगाई मूर्ति

अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के 18वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति छल से स्थापित की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई...

अयोध्या विवाद सुनवाई 18वां दिन : मुस्लिम पक्ष की दलील, छल से लगाई मूर्ति
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता Wed, 04 Sep 2019 03:43 AM
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अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के 18वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति छल से स्थापित की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्जे का अधिकार नहीं हैं, न ही मुस्लिम पक्ष वहां नमाज अदा करते हैं। उसकी वजह यह है कि 1934 में निर्मोही अखाड़े ने अवैध कब्जा किया। हमें नमाज पढ़ने नहीं दी गई। 

इस पर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या जब किसी मुस्लिम ने नमाज नहीं पढ़ने देने की शिकायत की तो  उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। धवन ने कहा मस्जिद में मूर्ति का होना कोई चमत्कार नहीं बल्कि योजनाबद्ध हमला था। उन्होंने कहा कि मेहराब पर अल्लाह शब्द खुदे हैं। धवन ने पुरानी तस्वीरें कोर्ट में पेश कर दावा किया कि विवादित इमारत में मध्य वाले मेहराब के ऊपर अरबी लिपि में बाबर और अल्लाह भी खुदा था। इसके अलावा कलमे भी खुदे हैं। उत्तरी मेहराब में भी कलात्मक लिखाई में तीन बार अल्लाह लिखा था। लेकिन पास में ही राम-राम भी लिख दिया गया। 

पहले तो रामलला चबूतरे पर ही विराजमान थे

राजीव धवन ने कहा कि 23 दिसम्बर 1949 से पहले तो रामलला चबूतरे पर ही विराजमान थे। चबूतरा जन्मस्थान के बाहरी अहाते में स्थित था। यह जगह का बदलाव भी स्वयंभू की दलील के उलट है। बाहरी अहाते में रामचबूतरा, सीता रसोई और भंडार थे। जिन पर निर्मोही अखाड़े का कब्जा था। अंदर रामलला के गर्भगृह पर हिन्दू-मुस्लिम दोनों का था। लेकिन 22-23 दिसम्बर की रात निर्मोही अखाड़े के साधुओं ने जबरन घुसकर मस्जिद की इमारत में रामलला की मूर्ति रख दी। इसकी एफआईआर भी है। घटना के बाद अखाड़े वालों ने वहां गैरहिंदुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी। धवन ने कहा कि रामलला को नाबालिग बताते हुए उनके मित्र अचानक कब्जे की आस में अदालत पहुंच गए। अब कानून की निगाह में स्थापित विधि के मुताबिक रामलला की मूर्ति को कानूनी व्यक्ति की मान्यता तो हो सकती है पर वो मुकदमा नहीं कर सकते। निर्मोही अखाड़ा की भी इस दलील से हम पूरी तरह सहमत हैं। सुनवाई बुधवार को भी जारी जारी रहेगी। 

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खंभे की तस्वीर पेश करने पर जवाब नहीं दिया

जस्टिस भूषण और जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या वह किसी खंभे की तस्वीर भी पेश करेंगे। धवन ने इस पर कोई साफ-साफ जवाब नहीं दिया। लेकिन कहा कि दशकों तक वहां ताला पड़ा रहा। गौरतलब है कि इन खंभों पर देव मूर्तिया बनी हैं। धवन ने कहा कि हिंदुओं का दावा है कि बीच वाले गुम्बद के नीचे ही भगवान राम का जन्म हुआ था। लेकिन यह कैसे कह सकते हैं कि राम ठीक वहीं पैदा हुए थे। यह इतना बड़ा ढांचा है। यह दावा ठोस तथ्यों पर आधारित नहीं है। यदि मान भी लें कि जन्म वहां हुआ तो परिक्रमा के दावे का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि परिक्रमा पूजा के लिए है इससे दावा साबित नहीं होता। इस पर जस्टिस भूषण ने पूछा कि फिर परिक्रमा किसलिए और किसकी की जाती है। 

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