भाजपा मुख्यालय ने अटल की अगवानी व विदाई एक साथ की
दिन के ग्यारह बजे थे, सूरज की तेज गर्मी के बीच भाजपा मुख्यालय के लोहे के बड़े गेट पर गमगीन खड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार बाहर की तरफ देख रहे थे। उसके साथ खड़े पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व...
दिन के ग्यारह बजे थे, सूरज की तेज गर्मी के बीच भाजपा मुख्यालय के लोहे के बड़े गेट पर गमगीन खड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार बाहर की तरफ देख रहे थे। उसके साथ खड़े पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व गृहमंत्री राजनाथ सिंह की टकटकी भी उसी तरफ लगी थी। अटलजी आज पहली बार और आखिरी बार भाजपा के नई दिल्ली के 6ए, पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित नए मुख्यालय में आ रहे थे।
भले ही उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए आ रहा हो, लेकिन भाजपा नेता व उसके हजारों कार्यकर्ताओं के लिए वह अमर अटल हैं और वे चिलचिलाती धूप में भी अपने नेता के सम्मान में कोई कमी नहीं रखना चाहते थे।
पार्टी कार्यकर्ताओं के खून-पसीने की कमाई से बनी लाल बलुआ पत्थरों की भव्य इमारत की दुविधा उसके कार्यकर्ताओं के मन में झलक रही थी कि वह अपने नेता के पहली बार आने पर स्वागत करे या उनके महाप्रयाण पर विदाई दें।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गुरुवार शाम से ही व्यवस्थाओं की कमान संभाल ली थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मन नहीं माना और वे भी वाजपेयी के आने से काफी पहले भाजपा मुख्यालय पहुंच गए और एक-एक व्यवस्था की खुद पूरी निगरानी की कि कहीं कोई कमी न रह जाए। भाव उमड़ रहे थे और मोदी अपने अंगोछे से कभी आंखों को तो कभी माथे को पोंछ रहे थे।
भावविह्वल हुआ भाजपा मुख्यालय
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल राम नाईक, ओम माथुर, रामलाल, भूपेंद्र यादव, अरुण सिंह, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, अनिल बलूनी समेत कई मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, पार्टी पदाधिकारी मुख्यालय में जमा थे। बड़े नेता हों या छोटे कार्यकर्ता, मुख्यालय के भीतर जुटे नेता हों या सड़क पर जुटे कार्यकर्ता सभी भावविह्वल थे। हर कोई अंतिम दर्शन करना चाहता था, मगर सुरक्षा बंदोबस्त के कारण यह संभव नहीं था।
प्रधानमंत्री समेत सभी प्रमुख नेता तोपगाड़ी से वाजपेयी के पार्थिव शरीर को मुख्यालय के भीतर मुख्य हाल तक ले गए। बाहर भीड़ बढ़ रही थी। ऐसे में प्रधानमंत्री कुछ देर के लिए वहां से चले गए, ताकि सुरक्षा बंदोबस्त के कारण आम जनता को अटलजी के आखिरी दर्शन में दिक्कत न हो।
न सुरक्षा की चिंता, न प्रोटोकाल
लगभग दो घंटे बाद प्रधानमंत्री वापस लौटे। अंतिम यात्रा की तैयारी शुरू हो गई। प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत सभी प्रमुख नेताओं ने तय किया कि भाजपा मुख्यालय से वे स्मृति स्थल तक अटलजी की अंतिम यात्रा में पैदल ही जाएंगे। न सुरक्षा की चिंता व प्रोटोकॉल। जन सैलाब के साथ ‘अटल जी अमर रहें’, ‘जब तक सरज चांद रहेगा, अटल तेरा नाम रहेगा’ के नारों के बीच भाजपा के सभी प्रमुख नेता छह किलोमीटर पैदल ही चल कर स्मृति स्थल तक पहुंचे। राजधानी दिल्ली की सड़कों पर यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री अपने नेता की अंतिम यात्रा में पैदल गए हों।
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