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...जब दोस्त की तबीयत जानने के लिए AIIMS में सात घंटे खड़े रहे थे अटल बिहारी वाजपेयी

राजनीति के क्षेत्र में सरल स्वाभाव और नेतृत्व क्षमता से अपनी प्रतिभा का लोहा मनमाने वाले भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोस्तों के लिये अपनी जान छिड़कते थे। अपने राजनीतिक जीवन में...

...जब दोस्त की तबीयत जानने के लिए AIIMS में सात घंटे खड़े रहे थे अटल बिहारी वाजपेयी
नई दिल्ली। एजेंसीFri, 17 Aug 2018 04:49 PM
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राजनीति के क्षेत्र में सरल स्वाभाव और नेतृत्व क्षमता से अपनी प्रतिभा का लोहा मनमाने वाले भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोस्तों के लिये अपनी जान छिड़कते थे। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने मात्र तीन दफे पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का दौरा किया और अपने व्यक्तित्व की ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि यहां के बड़े बुजुर्ग आज भी उसे याद करते हैं। आजमगढ़ में वाजपेयी के जिगरी दोस्त महातम राय का निवास स्थान था। 
 
महातम राय की बेटी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महिला मोर्चा की पदाधिकारी भावुक होकर बताती हैं कि साल 1977 में पिताजी को ब्रेन ट्यूमर की शिकायत पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। वाजपेयी को जैसे ही दोस्त के बीमार होने की खबर लगी, वह बिना समय गंवाये एम्स पहुंच गये और अस्पताल के वेटिंग लाउंज में डट गये। करीब सात घंटे बाद डाक्टरों ने कहा कि राय साहब की तबीयत अब ठीक है। इसके बाद संतोष का भाव लिये वाजपेयी अस्पताल से रवाना हुये।

लखनऊ में रेलवे में यूनियन के नेता राय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुडे थे। वह लखनऊ में संघ के कार्यवाह थे। इसी सेवा के दौरान उनकी दोस्ती अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हुई। लखनऊ में 1953 से लेकर 1970 तक अटल जी और राय सायकिल से लखनऊ की गलियों में सायकिल पर बैठकर प्रचार करते थे। महत्तम राय सायकिल चलाते थे और अटल जी सायकिल के पीछे बैठते थे। वैसे तो महातम राय अब इस दुनिया मे नहीं है। वह कई साल पहले इस दुनिया को छोड़कर चले गए।
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वाजपेयी की आज़मगढ़ की राजनीतिक यात्रा तीन बार रही। वह साल 1984 में,  1989 में और 1996 में यहां आये थे। आखिरी 1996 मे एक रैली को शहर के जजी मैदान में संबोधित करना था जिसमे वे थोड़ा विलंब से पहुंचे थे, उसमे अपार जनसमुदाय उन्हें सुनने के लिए उमड़ पड़ा था । भीड़ को उस समय की भाजपा की रिकार्ड भीड़ कही गयी थी।
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