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विधानसभा चुनाव 2018: बसपा का एससी/एसटी दांव निभाएगा अहम भूमिका!

विधानसभा चुनाव 2018ः बसपा अपने एससी/एसटी फैक्टर के सहारे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किंगमेकर बनने की उम्मीद जता रही है। पार्टी मध्य प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर पूरा जोर लगा रही...

विधानसभा चुनाव 2018: बसपा का एससी/एसटी दांव निभाएगा अहम भूमिका!
विशेष संवाददाता,नई दिल्ली। Sat, 17 Nov 2018 04:54 AM
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विधानसभा चुनाव 2018ः बसपा अपने एससी/एसटी फैक्टर के सहारे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किंगमेकर बनने की उम्मीद जता रही है। पार्टी मध्य प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर पूरा जोर लगा रही है। पिछले कई चुनाव में बसपा यहां बहुत ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब नहीं रही है।

पार्टी का मानना है कि इस बार भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी फैक्टर का फायदा मिल सकता है। क्योंकि ज्यादातर एससी/एसटी सीटों पर भाजपा ही काबिज है। पार्टी छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ गठबंधन के फायदे को लेकर भी आशान्वित है। 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बसपा का यह फैक्टर कांग्रेस या भाजपा किसके लिए ज्यादा नुकसान देह होगा कहना मुश्किल है। क्योंकि मध्यप्रदेश में ज्यादातर दलित सीटों पर भाजपा ही काबिज है।

बसपा को वर्ष 2008 में मध्यप्रदेश में 9.08 प्रतिशत मत मिले थे जबकि 2013 में इसमें गिरावट देखने के मिली थी और बसपा का मत प्रतिशत घटकर 6.29 प्रतिशत रह गया। बसपा मध्यप्रदेश में पिछले कई चुनावों में ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब नहीं रही है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों उसके प्रभाव को खारिज करने का प्रयास कर रहे हैं।

लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बसपा को मिलने वाले वोट किसी भी दल का समीकरण बना बिगाड़ सकते हैं। मध्य प्रदेश में करीब 15 फीसदी दलित वोट हैं।

कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कांग्रेस और बसपा की आपसी नूराकुश्ती के चलते करीब 22 सीटों पर कांग्रेस को 2003 में नुकसान हुआ था। वर्ष 2008 में भी कई सीटों पर कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन कुछ जानकार मानते हैं कि अगर बसपा सीट जीतने में कामयाब रहती है तो सीट के लिहाज से भाजपा को नुकसान होगा क्योंकि ज्यादातर दलित प्रभाव वाली सीटें भाजपा के पास ही हैं।

उधर छत्तीसगढ़ में करीब 39 सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 10 एससी सीटों में से 9 पर बीजेपी का कब्जा है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि छग में गठबंधन का नुकसान भाजपा को होगा। भाजपा की जीती हुई एससी सीटों पर सतनामी वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है जिन्हें जोगी का समर्थक माना जाता है। जबकि भाजपा के पक्ष में तर्क देने वालों का कहना है कि तीसरे मोर्चे का असर 29 एसटी सीटों पर ज्यादा देखने को मिलेगा जिनमें से 18 सीटें कांग्रेस के पास हैं।

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