विधानसभा चुनाव नतीजे: तीन राज्यों में भाजपा को सभी वर्गों ने किया निराश
हिंदी भाषी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया है। चुनाव आंकड़ों के विश्लेषण से साफ होता है कि सत्ता विरोधी लहर के कारण भाजपा को पिछली...
हिंदी भाषी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया है। चुनाव आंकड़ों के विश्लेषण से साफ होता है कि सत्ता विरोधी लहर के कारण भाजपा को पिछली विधानसभा चुनाव के मुकाबले सभी वर्गों से निराशा मिली है। वहीं, कांग्रेस इन नाराज मतदlताओं को अपने खेमे में साधने में कामयाब हुई।
चुनाव विश्लेषकों ने मतदाताओं को कांग्रेस और भाजपा के प्रति रुझान को आंकने के लिए तीन वृहद वर्गों में विभाजित किया है। ये हैं कृषक और गैर कृषि पेशेवर, अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) और शहरी व ग्रामीण मतदाता। विश्लेषकों ने कहा, हालांकि, राजस्थान और मध्यप्रदेश में मतों में अंतर कम होने के बावजूद सीटों का फासला बहुत अधिक है। इसकी वजह विपक्षी एकता और जहां गठबंधन नहीं हुआ वहां पर भी भाजपा विरोधी मतदlताओं ने संभावित विजेता प्रत्याशी के पक्ष में मत दिया।
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तीनों राज्यों के समग्र आंकड़ों पर नजर डाले तो स्पष्ट है कि इस बार तीनों राज्यों में ग्रामीण और किसानी से जुड़े मतदाताओं के प्रभाव वाली सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा पर निर्णायक बढ़त बनाई। हालांकि, राजस्थान और मध्यप्रदेश की शहरी मतदाताओं वाली सीटों पर भाजपा की पारंपरिक मजबूत उपस्थिति इस बार भी दिखी।
विश्लेषकों की मानें तो भाजपा के लिए सबसे बड़ी चिंता अधिक मत के बावजूद सीटों में उन्हें तब्दील नहीं कर पाना है। इस बार राजस्थान और मध्यप्रदेश में दोनों दलों को मिले मतों का अंतर क्रमश: 0.5 फीसदी और 0.1 फीसदी रहा। लेकिन सीटों की दौड़ में कांग्रेस कहीं आगे अधिक निकल गई। ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की अन्य वर्गों का विश्वास फिर से बहाल करने पर होगी। साथ ही चुनाव में साथ देने वाले शहरी मतदाताओं को बनाए रखने के प्रयास भी जारी रखने होंगे।
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भाजपा से कहा कितने छिटके वोट
1) कृषि/गैर कृषि क्षेत्र :मत में बदलाव प्रतिशत में
वर्ग का घनत्व मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़
अत्यधिक कृषि घनत्व -6.9 -5.4 -9.9
कृषि प्रधान -4.8 -6.1 -9.2
उच्च कृषि घनत्व -1.3 -6.4 -7.3
निम्न कृषि -1.9 -7.2 -6.5
2) अनुसूचित जाति व जनजाति क्षेत्र
घनत्व मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़
अत्यधिक -3.4 -3.3 -5.2
उच्च -3.9 -3.3 -9.8
निम्न -4.1 -8.5 -9.1
न्यूनतम -3.8 -10.4 -8.3
3) शहरी/ग्रामीण क्षेत्र
ग्रामीणों का घनत्व मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़
सर्वाधिक -1.8 -10.1 -8.5
अधिक -4.7 -4.2 -6.8
निम्न -3.8 -5.3 -9.1
न्यूनतम -5.4 -6.3 -8.0
भाजपा-कांग्रेस के मतों में अंतर
कृषि/गैर कृषि इलाके
- मध्यप्रदेश के कृषि प्रधान क्षेत्र में कांग्रेस को 3.3% बढ़त, जबकि न्यून कृषि क्षेत्र में भाजपा 3.1% मतों से आगे
- राजस्थान के कृषि बहुल क्षेत्र में कांग्रेस 2.9% मतों से आगे, भाजपा को न्यून कृषि क्षेत्र में 1.2% वोटों की बढ़त
- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने कृषि बहुल और न्यून कृषि क्षेत्रों में भाजपा पर 13 से आठ फीसदी तक बढ़त मिली
अनुसूचित जाति व जनजाति
- मध्यप्रदेश में भाजपा को एससी/एसटी के घनत्व वाली सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले 3.1% कम मत मिले
- राजस्थान में प्रभुत्व वाली सीटों पर भाजपा 2.4% और न्यून आबादी वाली सीटों पर 5% मतो से पीछे रही
- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने समुदाय के बहुलता वाले क्षेत्रों में 14.5 फीसदी के भारी-भरकम अंतर से आगे रही
ग्रामीण और शहरी क्षेत्र
- मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भाजपा को 2.9 फीसदी कम मत मिला, शहरी क्षेत्र में 2.6 की बढ़त मिली
- राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में भाजपा 5.1 मतों से पिछड़ी, शहरी इलाकों में 1.0 फीसदी से बढ़त बनाई
- छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस 9.7 फीसदी अधिक मत शहरी इलाकों में भी चार फीसदी बढ़त
मोदी की हुंकार और राहुल की ललकार से बदले नतीजे
पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद विश्लेषण का दौर शुरू हो गया है। इसी कड़ी में ‘मिंट’ ने भाजपा के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जनसभाओं का विश्लेषण किया और पाया कि दोनों नेताओं की रैलियों ने जमीनी समीकरणों को करीब-करीब बदल कर रख दिया।
मोदी से अधिक राहुल की रैली
राज्य अवधि नरेंद्र मोदी राहुल गांधी
गुजरात दिसंबर 2017 33 29
कर्नाटक मई 2018 16 18
छत्तीसगढ़ नवंबर 2018 4 17
मध्यप्रदेश नवंबर 2018 10 15
मिजोरम नवंबर 2018 1 2
तेलंगाना दिसंबर 2018 3 9
राजस्थान दिसंबर 2018 15 24
आखिरी दौर में तेज होती रैलियां
समय नरेंद्र मोदी राहुल गांधी
चार हफ्ते से पहले - 27
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