Assembly election result : बसपा ने बढ़ाई ताकत, सपा कुछ खास नहीं कर पाई
छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) की साख दाव पर लगी थी। बसपा पड़ोसी राज्यों में अपने पांव जमाने की कोशिश में कुछ कामयाब रही है। इस पार्टी के लिए तीनों...
छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) की साख दाव पर लगी थी। बसपा पड़ोसी राज्यों में अपने पांव जमाने की कोशिश में कुछ कामयाब रही है। इस पार्टी के लिए तीनों राज्यों में आए नतीजे उसके लिए 2013 के चुनावों से बेहतर हैं। अलबत्ता सपा मध्यप्रदेश में अपनी प्रतिष्ठा एक सीट के जरिए थोड़ी बचा ले गई। अब इन चुनाव नतीजों की रोशनी में सपा बसपा को गठबंधन के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। मध्यप्रदेश में बसपा व सपा सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समर्थन कर सकते हैं।
बहुजन समाज पार्टी का बेहतर प्रदर्शन
बसपा ने सबसे बेहतर प्रदर्शन राजस्थान में किया है। वहां बसपा 6 सीटें जीतने में कामयाब रही है और सरकार बनाने में उसकी भूमिका अहम हो सकती है। बसपा को यहां पर 4 फीसदी वोट मिला है। राजस्थान में बसपा अकेले ही चुनाव में कूदी थी और वहां पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया है। कांग्रेस द्वारा बेरुखी दिखाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने छत्तीसगढ़ के पुराने नेता अजीत जोगी की 'जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़' से तालमेल किया था और वहां भी पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया। कुल मिलाकर बसपा ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश तीनों राज्यों में अपनी मौजूदगी सीट व वोट प्रतिशत के हिसाब से बढ़ाई है।
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बसपा के मुकाबले बेहतर नहीं रहा सपा का प्रदर्शन
मध्यप्रदेश की बिजावर सीट ने सपा की लाज बचा ली। लेकिन छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सपा का खाता नहीं खुला। ऐसे में सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। इन नतीजों ने यह उम्मीद पूरी नहीं की है। असल में इसी दर्जे के लिए सपा अपने पंख राजस्थान , मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में फैलाना चाहती थी। अखिलेश ने इस साल कई बार मध्यप्रदेश का दौरा किया और सोच विचार कर गोडवाना गणतंत्र पार्टी से समझौता किया। सपा ने 52 प्रत्याशी मध्यप्रदेश व 17 छत्तीसगढ़ में उतारे थे।
2003 में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सपा को मध्यप्रदेश में 7 सीटें व 3.7 प्रतिशत वोट मिला था। अखिलेश ने छत्तीसगढ़ में 10 , मध्य प्रदेश में 15 व राजस्थान में चार जनसभाएं कर माहौल बनाने की कोशिश की थी। पर सपा के लिए अपेक्षित नतीजे नहीं आए। तसल्ली इतनी रही कि भाजपा को इन राज्यों में झटका लगा।
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