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असम फर्जी मुठभेड़: एक महीने पहले हुई थी प्रदीप की शादी, उठा ले गई सेना, फिर कभी नहीं दिखा

असम के तिनसुकिया जिले में 24 साल पहले हुई एक मुठभेड़ ने एक परिवार की जिंदगी हमेशा के लिए बदलकर रख दी। प्रदीप के बड़े भाई ने कहा कि सेना उल्फा उग्रवादियों द्वारा की गई एक चाय बागान प्रबंधक की हत्या के...

असम फर्जी मुठभेड़: एक महीने पहले हुई थी प्रदीप की शादी, उठा ले गई सेना, फिर कभी नहीं दिखा
गुवाहाटी। एजेंसीTue, 16 Oct 2018 01:17 AM
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असम के तिनसुकिया जिले में 24 साल पहले हुई एक मुठभेड़ ने एक परिवार की जिंदगी हमेशा के लिए बदलकर रख दी। प्रदीप के बड़े भाई ने कहा कि सेना उल्फा उग्रवादियों द्वारा की गई एक चाय बागान प्रबंधक की हत्या के सिलसिले में वहां आई थी और प्रदीप को अपने साथ ले गई। 33 साल के प्रदीप की एक महीने पहले ही शादी हुई थी। वह अपना खुद का कारोबार करता था।

गुवाहाटी में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा में प्रबंधक के रूप में काम कर रहे दीपक दत्ता ने कहा कि हमने उसे दोबारा कभी नहीं देखा। सेना का एक दल प्रदीप और चार अन्य को अपने साथ ले गया और चार दिन बाद 23 फरवरी 1994 को उनकी जान ले ली गई। घटना को डांगोरी मुठभेड़ के रूप में जाना जाता है। दत्ता परिवार का इंसाफ के लिए लंबा इंतजार इस शनिवार को पूरा हुआ, जब एक कोर्ट मार्शल में मामले को लेकर एक मेजर जनरल सहित सेना के सात कर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

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असम के डिब्रूगढ़ जिले के दिंजन में 2 इन्फैन्ट्री माउंटेन डिविजन में हुए जनरल कोर्ट मार्शल ने सात थलसैनिकों को दोषी करार दिया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। प्रदीप को बहुत यातना दी गई थी। दीपक ने कहा कि सैन्यकर्मियों ने हमारी घर की तलाशी ली और जब उन्होंने शादी के कुछ उपहार देखे जो तब तक खोले नहीं गए थे, तब पूछा कि वे किसके हैं। मेरे भाई ने उन्हें बताया कि उपहार उसके हैं। इसके थोड़ी देर बाद वे उसे ले गए और हमने फिर कभी उसे नहीं देखा। दीपक ने कहा कि प्रदीप का किसी भी संगठन से कोई संबंध नहीं था। वह एक साधारण इंसान था, जो अपना खुद का कारोबार करता था। 

प्रदीप को बहुत ही बर्बर तरीके से मारा गया 

प्रदीप को बहुत ही बर्बर तरीके से मारा गया। उसके सभी नाखून उखाड़ दिए गए थे और पूरे शरीर पर चोट एवं जलाने के निशान थे, जो हमें लगता है कि उसे दिए गए बिजली के झटके से आए थे। बेटे के इस तरह दुनिया से जाने से गमजदा प्रदीप के पिता का कुछ सालों बाद निधन हो गया। उसकी मां स्वर्णलता भी बीमार पड़ गईं। दीपक ने कहा, ‘हमारी मां जो अब 80 साल की हो गई हैं, अब भी प्रदीप को याद कर करके रोती हैं।’ 

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