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केजरीवाल बनाम एलजी: पिछले साढे़ तीन साल में तकरार की वजह बने ये चार मुद्दे

नौकरशाहों का तबादला, भ्रष्टाचार रोधी शाखा पर नियंत्रण और मुख्य सचिव पर हमला जैसे विषयों को लेकर आम आदमी पार्टी नीत दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) कार्यालय के बीच तकरार रही है। उनके बीच पिछले साढ़े...

केजरीवाल बनाम एलजी: पिछले साढे़ तीन साल में तकरार की वजह बने ये चार मुद्दे
नई दिल्ली, एजेंसी। Wed, 04 Jul 2018 05:05 PM
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नौकरशाहों का तबादला, भ्रष्टाचार रोधी शाखा पर नियंत्रण और मुख्य सचिव पर हमला जैसे विषयों को लेकर आम आदमी पार्टी नीत दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) कार्यालय के बीच तकरार रही है। उनके बीच पिछले साढ़े तीन साल के दौरान बड़े मुद्दे रहे हैं:

 - भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) का मुद्दा :
सत्ता में आने के तीन महीने बाद आप सरकार ने मई 2015 में कहा कि एसीबी का नियंत्रण उपराज्यपाल (तत्कालीन) नजीब जंग को दे दिए जाने के चलते वह भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रही है। आप सरकार ने आरोप लगाया कि ऐसा पूर्ववर्ती शीला दीक्षित (कांग्रेस) नीत शासन के दौरान नहीं था। इसने कहा कि केंद्र ने 2014 में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगे रहने के दौरान एक अधिसूचना जारी कर एसीबी का नियंत्रण उपराज्यपाल के हाथों में दे दिया। 

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- नौकरशाहों का तबादला और उनकी तैनाती का मुद्दा : 
मई 2015 में तत्कालीन एलजी ने वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को दिल्ली का मुख्य सचिव नियुक्त किया, जबकि केजरीवाल ने इसे लेकर सख्त आपत्ति जताई थी। एलजी के कदम से नाराज आप सरकार ने तत्कालीन प्रधान सचिव (सेवा) अनिंदो मजूमदार के कार्यालय में ताला जड़ दिया था। दरअसल, मजूमदार ने एलजी के निर्देश के बाद गैमलिन की नियुक्ति का आदेश दिया था। 

इस मुद्दे पर यह आप सरकार और एलजी कार्यालय के बीच पहली बड़ी तकरार थी। तब से केजरीवाल ने अक्सर ही शिकायत की है कि वह एक चपरासी तक नियुक्त नहीं कर पा रहे हैं , ना ही अपनी सरकार के किसी अधिकारी का तबादला कर सकते हैं। उन्होंने इसकी वजह यह बताई कि केंद्र ने दिल्ली सरकार की शक्तियां छीन ली है और उसे एलजी को सौंप दिया है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि नौकरशाह उनकी सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनका कैडर नियंत्रण करने वाला प्राधिकार केंद्रीय गृह मंत्रालय है। 

 

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दिसंबर 2015 में , दिल्ली के नौकरशाह एक दिन के सामूहिक अवकाश पर चले गए। दो विशेष गृह सचिवों को निलंबित करने के आप सरकार के फैसले के विरोध में अधिकारियों ने यह कदम उठाया। 
   
- सीसीटीवी कैमरों का मुद्दा : 
 इस साल मई में केजरीवाल , उनके मंत्री और आप विधायकों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय के पास तीन घंटे से अधिक समय तक धरना दिया। उन्होंने एलजी पर आरोप लगाया कि वह समूचे शहर में 1. 4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की आप सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना को भाजपा के इशारे पर अटका रहे हैं।   वहीं , एलजी कार्यालय ने कहा कि सरकार की फाइलों को नियमों के मुताबिक मंजूरी दे दी गई है।  

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- मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर हमला : 
इस साल फरवरी में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को रात में केजरीवाल के आवास पर कथित तौर पर बुलाया गया था और आप विधायकों के एक समूह ने उन पर हमला किया। इसके बाद , नौकरशाहों ने आप मंत्रियों के साथ होने वाली बैठकों का बहिष्कार करने का फैसला किया। यह गतिरोध जून के आखिरी हफ्ते तक जारी रहा और केजरीवाल के नौ दिनों के धरने के बाद यह टूटा। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भूख हड़ताल पर बैठें। 

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