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जानें क्या है अनुच्छेद 370, कैसे बना और अब क्या बदल गया

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में एक पखवाड़े से जारी गहमागहमी और सैन्य हलचल के बीच घाटी से दिल्ली तक बनी असमंजस की स्थिति आज लगभग खत्म हो गई है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370...

Security forces patrol in Srinagar, Sunday, Aug. 4, 2019. (AP)
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Jammu and Kashmir Live Updates:Ruckus in Parliament after Amit Shah moves resolution to scrap Article 370
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हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 05 Aug 2019 11:56 AM
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जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में एक पखवाड़े से जारी गहमागहमी और सैन्य हलचल के बीच घाटी से दिल्ली तक बनी असमंजस की स्थिति आज लगभग खत्म हो गई है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 के सभी खंड को न लागू करने का संकल्प पेश किया। अनुच्छेद 370 में अब सिर्फ खंड 1 रहेगा। आइए जानते हैं कि आखिर अनुच्छेद 370 हैं क्या और इस पर विवाद क्यों गहराता रहता है।

अनुच्छेद 370 

यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। इसके मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है। इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है।

ऐसे पड़ी अनुच्छेद 370 की जरूरत

गोपालस्वामी आयंगर ने धारा 306-ए का प्रारूप पेश किया था। बाद में यह धारा 370 बनी। इन अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिले। 1951 में राज्य को संविधान सभा अलग से बुलाने की अनुमति दी गई। नवंबर 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ। 26 जनवरी 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया।

370 के साथ जम्मू कश्मीर के पास थे ये विशेष अधिकार

धारा 370 के तहत संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार थी।
अलग विषयों पर कानून लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती थी।
जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था।
शहरी भूमि कानून (1976) भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था।
जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे।
धारा 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार था।

धारा 370 की बड़ी बातें

-जम्मू-कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते थे। 
-जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल होता था। 
-भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में बहुत ही सीमित दायरे में कानून बना सकती थी। 
-जम्मू-कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू होता था। 
-जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाती थी। 
-यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती थी, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी। 
-जम्मू-कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं था।
-जम्मू-कश्मीर में काम करने वाले चपरासी को आज भी ढाई हजार रूपये ही बतौर वेतन मिल रहे थे। 
-कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता था।
-जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग होता था। 
-जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी। 
-जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं था। यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश मान्य नहीं होते थे। 
-धारा 370 के चलते कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती थी। 
-सूचना का अधिकार (आरटीआई) लागू नहीं होता था।  
-शिक्षा का अधिकार (आरटीई) लागू नहीं होता था। यहां सीएजी (CAG) भी लागू नहीं था। 

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