अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट से बोला केंद्र, J&K में धीरे-धीरे हटाया जा रहा है बैन
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जताई। सीजेआई ने...
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जताई। सीजेआई ने याचिकाकर्ता एलएल शर्मा से कहा कि अनुच्छेद 370 पर यह किस तरह की याचिका है ? इसे खारिज किया जा सकता था, लेकिन रजिस्ट्री में पांच अन्य याचिकाएं भी हैं। वहीं, केंद्र ने राज्य में मीडिया पर लगाई पाबंदियां हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय को बताया कि जम्मू कश्मीर में दिन प्रतिदिन स्थिति में सुधार हो रहा है, पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील एम एल शर्मा से कहा कि अनुच्छेद 370 पर केंद्र के कदम के खिलाफ उनकी याचिका का कोई 'मतलब नहीं है।' सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 370 पर दी गई यह याचिका पढ़ने में 30 मिनट लगाए लेकिन इसका कोई मतलब नहीं पता चल सका। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सरकार को समय देना चाहते हैं।
CJI Ranjan Gogoi says, "I read your petition for half an hour but could not understand what is this petition about." https://t.co/F6hzWshfWU
— ANI (@ANI) August 16, 2019
अधिवक्ता एम एल शर्मा ने जहां अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती दी है वहीं पत्रकार ने अपनी याचिका में पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट एवं लैंडलाइन सेवाओं समेत संचार के सभी माध्यमों को बहाल करने के निर्देश देने की मांग की है ताकि मीडिया अपना काम कर सके। शर्मा ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र के फैसले के एक दिन बाद छह अगस्त को याचिका दायर की थी।
अधिवक्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति का आदेश गैरकानूनी है क्योंकि यह जम्मू कश्मीर विधानसभा की सहमति के बिना जारी किया गया। वहीं 10 अगस्त को दायर अलग याचिका में भसीन ने कहा कि वह कश्मीर और जम्मू के कुछ जिलों में पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों की आवाजाही पर लगी सभी पाबंदियों को तत्काल हटाने के संबंध में केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन के लिए निर्देश चाहती हैं।
इससे पहले मंगलवार को शीर्ष अदालत ने प्रतिबंधों पर हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि संवेदनशील स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए और सुनवाई दो हफ्तों के बाद तय की थी। जम्मू कश्मीर की मुख्य राजनीतिक पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में किए गए बदलावों को कानूनी चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। पार्टी ने तर्क दिया है कि इन बदलावों ने जनादेश के बिना वहां के नागरिकों से उनके अधिकार ले लिए। यह याचिका लोकसभा सदस्य मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने दायर की है। दोनों नेशनल कॉन्फ्रेंस से हैं।