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#ArmedForcesFlagDay: जाने क्यों सात दिसंबर को सलाम किया जाता है देश की सेनाओं को

सात दिसंबर 1949 को भारत की तीनों सेनाओं को उनकी अहमियत का अहसास आम लोगों को कराने के मकसद से एक खास दिन की शुरुआत हुई। इस दिन को आप और हम सशस्त्र सेना झंडा दिवस के तौर पर जानते...

Richaलाइव हिन्दुस्तान टीम। ,नई दिल्लीThu, 07 Dec 2017 10:35 AM

क्या है इस दिन की अहमियत 

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सात दिसंबर 1949 को भारत की तीनों सेनाओं को उनकी अहमियत का अहसास आम लोगों को कराने के मकसद से एक खास दिन की शुरुआत हुई। इस दिन को आप और हम सशस्त्र सेना झंडा दिवस के तौर पर जानते हैं। ट्विटर से लेकर फेसबुक तक इस खास मौके पर लोगों के संदेश आपको नजर आ जाएंगे। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच दिसंबर
को ट्वीट किया और लिखा के भारत की सेनाओं ने कई मौकों पर असाधारण जज्बे का प्रदर्शन किया है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस के जरिए सैनिकों की निस्वार्थ सेवा के लिए उनका सम्मान करें। 

क्या था मकसद
हर वर्ष इस दिन के जरिए उन जवानों, वायुसैनिकों और नौसैनिकों को याद किया जाता है जिन्‍होंने देश की रक्षा में अपने प्राण त्‍याग दिए। सात दिसंबर 1949 से हर वर्ष इसी तारीख पर इसे मनाना एक परंपरा है। इस दिन के जरिए सैनिकों के कल्‍याण के लिए फंड भी इकट्ठा किया जाता है। सन 1947 को मिली आजादी के बाद सरकार के सामने सैनिकों के रख-रखाव के लिए जरूरी पैसे की कमी आई। 

10 रूपए से लेकर 10 लाख तक का फंड

10 रूपए से लेकर 10 लाख तक का फंड 2 / 3

28 अगस्‍त 1949को रक्षा मंत्री के नेतृत्‍व में एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी की ओर से हर वर्ष सात दिसंबर को झंडा दिवस
मनाने का सुझाव दिया गया। झंडा दिवस के जरिए लोगों में छोटे-छोटे झंडे दिए जाते और उनके बदले डोनेशन ली जाती। आम नागरिकों में सैनिकों के परिवारों के देखभाल की जिम्‍मेदारी की भावना को पैदा करना इसके अहम मकसद में से था। झंडा दिवस वह एक दिन है जब आप सैनिकों और उनके परिवारों वालों के कल्‍याण के लिए 10 रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक दे सकते हैं। राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए सैनिकों के योगदान और उनकी कोशिशों को सामने लाया जाता है। देश में केंद्रीय सैनिक बोर्ड के तहत इस फंड को इकट्ठा किया जाता है और इसकी देखरेख होती है। केंद्रीय सैनिक बोर्ड भी रक्षा मंत्रालय का ही एक हिस्‍सा है।

क्‍या कहा था पंडित नेहरु ने

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सात दिसंबर 1954 को उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने इस दिन पर एक खास बात कही थी। पंडित नेहरु ने कहा था, 'कुछ हफ्तों पहले मैंने भारत और चीन के बॉर्डर का दौरान किया। मैं सेना के अधिकारियों और जवानों से मिला जो वहां पर अंतराष्‍ट्रीय मिशन से जुड़े हुए थे। मुझे उन्‍हें देखकर एक अजीब सा रोमांच पैदा हुआ जब मैंने देखा कि वह कैसे अपने अच्‍छे काम को एक ऐसी जगह पर अंजाम दे रहे हैं जो घर से काफी दूर और सूनसान है।' उन्‍होंने आगे कहा, 'इससे भी ज्‍यादा मुझे यह देखकर काफी अच्‍छा लगा कि सैनिक आम जनता के बीच भी काफी लोकप्रिय थे। मुझे उम्‍मीद है कि देशवासी उनसे कुछ सीखेंगे और उनकी प्रशंसा करेंगे। फ्लैग डे फंड में योगदान देना भी उनकी इसी प्रशंसा का एक हिस्‍सा है।'