आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार विधान परिषद को कर सकती है भंग, सोमवार को ला सकती है प्रस्ताव
आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार विधान परिषद को भंग करने के कदम उठा सकती है। राज्य सरकार ऐसा इसलिए कर सकती है क्योंकि पिछले दिनों विधान परिषद में महत्वपूर्ण बिल पारित होने में अड़चन आई थी। इसी...
आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार विधान परिषद को भंग करने के कदम उठा सकती है। राज्य सरकार ऐसा इसलिए कर सकती है क्योंकि पिछले दिनों विधान परिषद में महत्वपूर्ण बिल पारित होने में अड़चन आई थी। इसी संदर्भ में 27 जनवरी को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव के पारित किए जाने की उम्मीद है।
उच्च सदन ने विशाखापत्तनम में कार्यकारी राजधानी के साथ राज्य के लिए तीन राजधानियां बनाने के उद्देश्य से दो महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने पर रोक लगा दी थी और बुधवार को सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया था। जगन मोहन रेड्डी ने संकेत दिए कि एक बार फिर से विधानसभा सोमवार को बैठेगी और विधान परिषद की निरंतरता पर चर्चा होगी और फैसला लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट विधान परिषद के भंग किए जाने पर एक प्रस्ताव ला सकता है जिसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब एक बार विधानसभा बिल पास कर लेती है, तो इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।
मुख्यमंत्री का मनना है कि विधान परिषद से सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों पर सरकार को सलाह देने की अपेक्षा होती है। लेकिन यह एक राजनीतिक मंच में बदल गई है। सरकार जो भी बिल पेश करती है, उसे विधान परिषद में रोका जाता है।
उन्होंने कहा, 'वर्तमान परिस्थितियों में इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है, जब विधानसभा में खुद कई बुद्धिजीवी, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और संवैधानिक विशेषज्ञ हैं। ऐसे में राज्य के लिए अलग विधान परिषद की जरूरत नहीं है।'
जगन ने यह भी कहा कि विधान परिषदें राज्य सरकार पर आर्थिक रूप से भी बोझ बन गई हैं। उन्होंने पूछा कि हम विधान परिषद पर हर साल 60 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। क्या यह आवश्यक है? उन्होंने विधान परिषद के चेयरमैन मोहम्मद अहमद शरीफ द्वारा बिलों का सेलेक्ट कमेटी को भेजने के नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने पर भी नाराजगी जताई। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता एन चंद्रबाबू नायडू के प्रभाव में काम किया। मुझे घटनाक्रम से गहरा दुख हुआ है।