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आम्रपाली के उत्थान-पतन की कहानी, सपने बेच इंजीनियर से अरबपति बना अनिल

जिस आम्रपाली समूह पर सुप्रीम कोर्ट ने शिकंजा कसा है उसके निदेशक अनिल शर्मा की जदगी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं। सहायक अभियंता से अपने जीवन की शुरुआत कर वह कुछ ही वर्षों में  रियल एस्टेट का...

आम्रपाली के उत्थान-पतन की कहानी, सपने बेच इंजीनियर से अरबपति बना अनिल
निशांत कौशिक,नोएडाWed, 24 Jul 2019 05:28 AM
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जिस आम्रपाली समूह पर सुप्रीम कोर्ट ने शिकंजा कसा है उसके निदेशक अनिल शर्मा की जदगी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं। सहायक अभियंता से अपने जीवन की शुरुआत कर वह कुछ ही वर्षों में  रियल एस्टेट का बड़ा नाम बन गया। उसने मकानों के खरीदारों को झूठे सपने दिखाकर मोटी ली। इस पैसे को दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिया और देखते ही देखते वह अरबपति बन बैठा।

हजारों लोगों का पैसा लेने के बाद भी समय पर घर न देने की वजह से वह पिछले पांच माह से जेल में बंद है। मंगलवार को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बिहार के राजधानी पटना से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंडारक गांव में जन्मे अनिल शर्मा पेशे से इंजीनियर रहे हैं। बिहार सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग में बतौर सहायक अभियंता उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की थी। वह  वर्ष 1984-85 तक हाजीपुर नगरपालिका में कार्यकारी अफसर के पद पर भी तैनान रहे थे।

दिल्ली से शुरू किया कारोबार : अनिल शर्मा ने एनटीपीसी और एनपीपीसी जैसी नामचीन कंपनी में नौकरी की  लेकिन उनके सपने बड़े थे।, वह कुछ और ही करना चाहते थे। इन सपनों को पूरा करने के लिए वह 2002 में दिल्ली आ गए और यहां कई लोगों से सलाह मशविरा कर रियल एस्टेट के कारोबार में पैर पसारने शुरू किए। उन्होंने आम्रपाली के नाम से अपने प्रोजेक्ट शुरू किए। नौकरशाहों और राजनेताओं की सरपरस्ती में साल 2015 तक आम्रपाली ग्रुप का सितारा बुलंदियों पर पहुंच गया था।

आम्रपाली के कई प्रोजेक्ट्स जैसे- नोएडा का आम्रपाली सैफायर और आम्रपाली प्लेटिनम, गाजियाबाद के आम्रपाली अंपायर, ग्रेटर नोएडा में कई कॉमर्शियल हब, जयपुर में बन रही टाउनशिप, बिहार के मुजफ्फरपुर का आम्रपाली मल्टीप्लेक्स मॉल, ग्रेटर नोएडा का आईटी हब कम पांच सितारा होटल आदि प्रमुख थे। अनिल शर्मा को बिल्डर्स के प्रतिष्ठित संगठन सीआरइडीएआई एनसीआर का प्रेसिडेंट भी चुना गया। विज्ञापनों की बदौलत बड़ा नाम कमाने के बाद उसने अनेक नए प्रोजेक्ट शुरू किए और बड़े पैमानें पर लोगों को घर का सपना दिखाकर उनसे पैसा लिया, लेकिन इस पैसे को फ्लैटों के निर्माण के प्रोजेक्ट में ना लगाकर अन्य स्थानों पर लगाना शुरू कर दिया। 

फिल्म इंडस्ट्री में भी हाथ आजमाया : आम्रपाली ने एफएमसीजी, हॉस्पिटेलिटी और इंटरटेनमेंट की दुनिया में भी हाथ आजमाए। आम्रपाली मीडिया विजन ने ‘गांधी टू हिटलर’ और ‘आई डोंट लव यू’ नाम की दो फिल्में बनाईं। लोगों की गाढ़ी कमाई मौजमस्ती में लगाई और पैसे की कमी के कारण फ्लैट के प्रोजेक्ट अधूरे रह गए। 

फिल्मी सितारों और नामचीन हस्तियों से प्रचार कराया
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बने आवासीय प्रोजेक्ट के लिए बिल्डरों ने बड़े नामों का भी सहारा लिया। फिल्मी इंडस्ट्री से जुड़े अनेक कलाकारों और नामचीन खिलाड़ियों को नोएडा में लाया गया और उनसे मार्केटिंग कराई गई। इसके बदले में उन्हें यहां पर फ्लैट भी दिए गए। अधिकारियों पर विश्वास करें तो कुछ नामचीन लोगों ने तो इस बिल्डर के प्रोजेक्ट में निवेश भी कर रखा है।  

बिहार से चुनाव भी लड़ा
अनिल शर्मा 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की जहानाबाद सीट से जद यू के टिकट से चुनाव लड़े और बुरी तरह से हारे। भाजपा से उन्होंने राज्यसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन यहां पर भी उन्हें हार ही नसीब हुई। चुनाव आयोग को शर्मा ने अपनी संपत्ति 847.88 करोड़ बताई थी। 

छह महीने तक नजरबंद रहा
आम्रपाली के प्रोजेक्ट में पैसे लगाने वाले नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ही करीब 42 हजार से अधिक निवेशक परेशान हैं। जिनकी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले लोगों ने नोएडा प्राधिकरण, केंद्र सरकार के मंत्री, यूपी के मुख्यमंत्री-मंत्री, नोएडा के  विधायक, सांसद के यहां भी गुहार लगाई लेकिन कुछ नहीं हुआ। लोगों को घर न दे पाने पर 10 अक्तूबर 2018 से अनिल शर्मा सेक्टर-62 के एक होटल में पुलिस की निगरानी में छह माह तक नजरबंद रहे। 1 मार्च 2019 को आम्रपाली ग्रुप के शर्मा समेत दोनों निदेशकों शिवप्रिया और अजय कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया और वह तभी से जेल में हैं। 

हत्या के मुकदमे में भी नामजद 
लखीसराय में आम्रपाली इंजीनिर्यंरग कॉलेज खोला गया था जो बालिका विद्यापीठ के नाम से रजिस्टर्ड जमीन पर चलाया जा रहा था। इस कॉलेज में हुए विवाद के बाद बालिका विद्यापीठ के सचिव न्यायालय की शरण में गए थे जिनकी बाद में हत्या हो गई थी। इस हत्या में अनिल शर्मा समेत सात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। 

बहुत देर से कराया ऑडिट
जब बिल्डर खरीदारों से लिए गए अरबों रुपये अपनी दूसरी परियोजनाओं, बिजनेस, राजनीति या अन्य क्षेत्र में लगा चुके थे, तब प्राधिकरण को इनका ऑडिट कराने की याद आई। करीब डेढ़ साल पहले प्राधिकरण ने 49 परियोजनाओं का ऑडिट कराया। ऑडिट में सामने आया कि 20 परियोजनाओं में बिल्डरों ने पैसों को दूसरी जगह लगाया है। इनमें से 12 ऐसी परियोजनाएं हैं जिनको पूरा करना बहुत मुश्किल है। 

* 3500 करोड़ रुपये जो निवेशकों से लिए उन्हें आम्रपाली ने दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिए।
* 8500  करोड़ रुपये की जरूरत है अटके काम को पूरा करने के लिए।
* 09 आवासीय प्रोजेक्ट हैं आम्रपाली के अकेले नोएडा में।
* 02 हजार करोड़ रुपये नोएडा प्राधिकरण का बकाया है।
* 200 करोड़ रति स्पोर्ट्स का बकाया है।
* 55 लाख का विला हर खिलाड़ी को देने का वादा किया था।

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