विवादों के बीच संजीव खन्ना और दिनेश माहेश्वरी सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए
कानून एवं न्याय मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार, सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जज संजीव खन्ना को बुधवार को उनकी पदोन्नति कर सुप्रीम कोर्ट का जज...
कानून एवं न्याय मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार, सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जज संजीव खन्ना को बुधवार को उनकी पदोन्नति कर सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया।
यह आदेश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर के बाद जारी किया गया, जिनकी सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच जजों की तरफ से की गई थी। जिसके बाद कानूनी बिरादरी में इस पर सवाल खड़े किए गए।
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President Ram Nath Kovind appoints Justice Dinesh Maheshwari, chief justice of Karnataka High Court, to be a judge of the Supreme Court of India with effect from the date he assumes charge of his office. https://t.co/92msOhQyqx
— ANI (@ANI) January 16, 2019
उच्चतम न्यायालय के पांच सदस्यीय कॉलिजियम ने 11 जनवरी को इन दोनों न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी।
कोलेजियम के फैसले का हुआ विरोध
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कैलाश गंभीर ने हाईकोर्ट के दो जजों की पदोन्नति कर सुप्रीम कोर्ट भेजने की सिफारिश का विरोध किया। कॉलेजियम के फैसले का विरोध करते हुए उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी है। जस्टिस (रिटायर्ड) गंभीर ने कहा है कि 32 सीनियर जजों की अनदेखी कर जस्टिस संजीव खन्ना और दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करना ऐतिहासिक भूल होगी।
गंभीर ने लिखा- "11 जनवरी को मैंने खबर पढ़ी कि कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना को कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश की है। पहली नजर में मुझे इस पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन यही सच था।' जस्टिस गंभीर ने खास तौर पर जस्टिस खन्ना के प्रमोशन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में उनसे सीनियर तीन जज और हैं। ऐसे में उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेजना गलत परंपरा की शुरुआत होगी।
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