ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशसभी पीजी डॉक्टरों को हार्ट अटैक के इलाज में बनाया जाएगा एक्सपर्ट, शुरू हुई अहम पहल

सभी पीजी डॉक्टरों को हार्ट अटैक के इलाज में बनाया जाएगा एक्सपर्ट, शुरू हुई अहम पहल

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने नए चिकित्सा नियमों में सभी स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रों के लिए बेसिक कार्डियेक लाइफ सपोर्ट (बीसीएलएस) और एडवांस कार्डियेक लाइफ सपोर्ट (एसीएलएस) कोर्स अनिवार्य कर दिए...

सभी पीजी डॉक्टरों को हार्ट अटैक के इलाज में बनाया जाएगा एक्सपर्ट, शुरू हुई अहम पहल
मदन जैड़ा, हिन्दुस्तान,नई दिल्ली Mon, 25 Oct 2021 06:28 AM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने नए चिकित्सा नियमों में सभी स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रों के लिए बेसिक कार्डियेक लाइफ सपोर्ट (बीसीएलएस) और एडवांस कार्डियेक लाइफ सपोर्ट (एसीएलएस) कोर्स अनिवार्य कर दिए हैं। चिकित्सा की किसी भी शाखा में पीजी करने वाले छात्रों के लिए ये दोनों ही कोर्स करना जरूरी होगा। इसका मकसद देश में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में कमी लाना है।

एनएमसी ने हाल ही में नए चिकित्सा नियमों को जारी किया है। इनमें कहा गया है कि पहले साल में ही सभी पीजी छात्रों को बीसीएलएस और एसीएलएस कोर्स करने होंगे। ये दोनों ही सार्टिफिकेट कोर्स होंगे और मेडिकल कॉलेज में ऑनलाइन व प्रैक्टिकल, दोनों तरीके से कराए जाएंगे। पीजी छात्रों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। दोनों कोर्स हार्ट अटैक की स्थिति में आपात उपचार से जुड़े हुए हैं। नए नियमों में कहा गया है कि पीजी छात्रों को इन कोर्स को अनिवार्य रूप से करना होगा, तभी उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति मिलेगी।

दरअसल, देश में दिल की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। हृदयरोगों से होने वाली कुल मौतों में से करीब 36 फीसदी हार्ट अटैक के कारण होती हैं। 40 से 69 साल के आयु वर्ग में दिल की बीमारी से होने वाली मौतों में आर्ट अटैक या अन्य बीमारियों की भूमिका 45 फीसदी पाई गई है। लेकिन देश में हृदयरोग विशेषज्ञों की भारी कमी है। इसलिए ये कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। इन कोर्स के जरिये सभी विशेषज्ञ डॉक्टरों को हार्ट अटैक की स्थिति में आपात उपचार में दक्ष बनाया जाएगा, ताकि वे आपात स्थिति को संभाल सकें।

भले ही वे किसी अन्य विषय के डॉक्टर हों। बेसिक कोर्स में खासकर कार्डियेक पल्मोनरी रिसासिटैशन (सीपीआर) देने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें हार्ट अटैक होने या दिल की धड़कन रुकने पर छाती दबाकर, मुंह या नाक से सांस देकर रोगी को तुरंत आपात चिकित्सा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाती है। एडवांस कोर्स भी आपात उपचार से जुड़ा है।
------कोट------
-बीसीएलएस और एसीएलएस जैसे कोर्स देश के चुनिंदा मेडिकल कॉलेजों में शुरू किए गए थे। इनके अच्छे नतीजे आए हैं। सभी मेडिकल कॉलेजों में दोनों कोर्स अनिवार्य किए जाने से भविष्य में कार्डियेक अरेस्ट जैसे मामलों के आपात प्रबंधन में मदद मिलेगी और लोगों को मौत से बचाया जा सकेगा। : प्रोफेसर जुगल किशोर, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज

डराते आंकड़े

-47.70 लाख से अधिक हृदयरोगी होने का अनुमान है भारत में फिलहाल
-27% है हृदयरोगों की हिस्सेदारी गैर-संचारी रोगों से होने वाली कुल मौतों में

-4000 से 4500 हृदयरोग विशेषज्ञ देश में मौजूद, 85 से 90 हजार की है जरूरत
इसलिए पड़ी जरूरत
-भारतीयों में हृदयरोग का खतरा यूरोप की तुलना में तीन गुना ज्यादा

-प्रति एक लाख आबादी पर 349 पुरुष, 265 महिलाएं दिल की मरीज
-अमेरिका में यह आंकड़ा प्रति एक लाख पर क्रमश: 170 और 108 है

-हार्ट अटैक की स्थिति में आपात चिकित्सा मिलने पर मरीज की मौत का खतरा आधा रह जाता है

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें