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अन्नाद्रमुक विवाद में पनीरसेल्वम गुट की याचिका पर फैसला करे... हाई कोर्ट से बोला सुप्रीम कोर्ट

इस पर जस्टिस कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट को किसी भी टिप्पणी या आदेश से प्रभावित हुए बिना प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच जारी लड़ाई पर फैसला करने का अनुरोध किया।

अन्नाद्रमुक विवाद में पनीरसेल्वम गुट की याचिका पर फैसला करे... हाई कोर्ट से बोला सुप्रीम कोर्ट
Ashutosh Rayएजेंसी,नई दिल्लीFri, 29 Jul 2022 09:29 PM

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के ओ पनीरसेल्वम (ओपीएस) और ई पलानीस्वामी (ईपीएस) की अगुवाई वाले गुटों को पार्टी में व्यवस्था से जुड़े विषय के सिलसिले में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया। साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने मद्रास हाई कोर्ट को आदेश दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर आम परिषद की बैठक के खिलाफ पनीरसेल्वम की याचिका पर निर्णय करे। 

अन्नाद्रमुक की आम परिषद की 11 जुलाई को हुई बैठक में पनीरसेल्वम को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया। इसी के साथ, पार्टी में मतभेद गहराने के बाद दोहरे नेतृत्व मॉडल को समाप्त कर दिया गया। वर्ष 2016 में अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे जयललिता के निधन के बाद पार्टी और सरकार में एक दोहरा नेतृत्व की व्यवस्था शुरू की गई थी। इसके तहत पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बने और कई बार मुख्यमंत्री रहे पनीरसेल्वम उपमुख्यमंत्री बने। 

पलानीस्वामी को संयुक्त समन्वयक बनाया गया

पनीरसेल्वम को अन्नाद्रमुक का समन्वयक और पलानीस्वामी को संयुक्त समन्वयक बनाया गया। समय के साथ उनके संबंधों में खटास आ गई और प्रभुत्वशाली पलानीस्वामी खेमे ने जुलाई में अपनी आम परिषद की बैठक में पनीरसेल्वम को पार्टी से बाहर कर दिया। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सामान्य परिषद की बैठक से पहले की स्थिति को बहाल करने से इनकार कर दिया, जब पनीरसेल्वम पार्टी में नेतृत्व की भूमिका में थे। 

फैसलों को स्थगित करने की मांग

वरिष्ठ अधिवक्ता गुरुकृष्ण कुमार ने कहा, 'हमारा अनुरोध है कि 11 जुलाई को लिए गए उनके (पलानीस्वामी के) फैसलों को स्थगित रखा जाए। आज, वे (पलानीस्वामी गुट) फायदा उठाने की स्थिति में हैं।' पलानीस्वामी गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने इस दलील का जोरदार विरोध किया। इस पर जस्टिस कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट को किसी भी टिप्पणी या आदेश से प्रभावित हुए बिना प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच जारी लड़ाई पर फैसला करने का अनुरोध किया।

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