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भारत के साथ 2+2 वार्ता से पहले पोम्पियो ने पाक से आतंकियों पर सख्ती करने को कहा

अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान की सरकार और सेना से आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने इन आतंकियों को क्षेत्र में शांति के लिए खतरा बताया है। बता दें, भारत के साथ टू प्लस टू...

भारत के साथ 2+2 वार्ता से पहले पोम्पियो ने पाक से आतंकियों पर सख्ती करने को कहा
नई दिल्ली, एजेंसी। Thu, 06 Sep 2018 03:52 AM
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अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान की सरकार और सेना से आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने इन आतंकियों को क्षेत्र में शांति के लिए खतरा बताया है। बता दें, भारत के साथ टू प्लस टू वार्ता से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने पाकिस्तान द्विपक्षीय बातचीत करने गए थे। वहीं भारत और अमेरिका के बीच गुरुवार को सीधी वार्ता होगी। टू प्लस टू वार्ता से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बुधवार को कहा कि भारत और अमेरिका पहली इस दौरान बड़े और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि बैठक मुख्य रूप से रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली और ईरान से तेल खरीदने की भारत की योजना पर केंद्रित नहीं है। लेकिन ये दोनों मुद्दे वार्ता का हिस्सा होंगे। 

पोम्पिओ ने पाकिस्तान से आते वक्त कहा कि यह संबंधों का हिस्सा है। ये सारी बातें वार्ता के दौरान जरूर आएंगी लेकिन मुझे नहीं लगता कि बातचीत इन मुद्दों पर केंद्रित रहेगी। वहीं दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे पोम्पियो का विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वागत किया। दिल्ली में गुरुवार को होने वाली टू प्लस टू वार्ता में अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जिम मैटिस, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमणहिस्सा लेंगे। दोनों देशों के बीच यह पहली टू प्लस टू वार्ता है।  

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हम आगे बढ़ना चाहते हैं
पोम्पिओ ने कहा कि आधे दर्जन से अधिक ऐसी चीजें हैं जिस पर इस वार्ता में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। ये फैसले महत्वपूर्ण हैं। ये फैसले संबंधों के लिहाज से निश्चित ही महत्वपूर्ण हैं लेकिन हम रणनीतिक बातचीत के दौरान उन मुद्दों को सुलझाते हुए खुद को नहीं देखते हैं और इस दौरान इन्हें सुलझाने का इरादा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि ये ऐसी चीजें हैं जो बड़ी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और अगले 20, 40 और 50 साल तक रहेंगी। ये ऐसे विषय हैं जिन पर मैं और मैटिस बात करेंगे। 
 
रूस के साथ रक्षा सौदे की जानकारी देगा भारत 
ऐसी संभावना है कि भारत वार्ता के दौरान अमेरिका को बताएगा कि वह एस-400 ट्रियम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए रूस के साथ करीब 4.5 अरब अरब डॉलर का सौदा करने वाला है।  

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प्रतिबंधों से छूट देने से इनकार किया था
पिछले महीने, पेंटागन ने रूस से हथियारों की खरीद पर अमेरिका के प्रतिबंधों से भारत को स्वत: छूट देने से इनकार किया था। साथ ही कहा था कि वाशिंगटन रूसी मिसाइल रक्षा प्रणाली सौदे को लेकर चिंतित है।
      
दो बार वार्ता स्थगित होने पर खेद भी जताया
पोम्पिओ ने पूर्व में टू प्लस टू वार्ता के दो बार स्थगित होने पर भी खेद भी जताया। उन्होंने कहा कि मैं खेद प्रकट करता हूं, दूसरी बार मेरी गलती थी। मुझे उत्तर कोरिया जाना था। लेकिन रक्षा मंत्री मैटिस और मैं अब इस पर आगे बढ़ने को लेकर आशान्वित हैं। 

मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान बनी थी सहमति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून 2017 में वाशिंगटन यात्रा के दौरान टू प्लस टू वार्ता पर सहमति बनी थी। दोनों देशों के बीच वार्ता को साल में दो बार करने पर सहमति बनी थी। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा भारत प्रशांत क्षेत्र में दबदबा बनाने के बीच यह वार्ता हो रही है।  

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इन मुद्दों पर होगी बातचीत
- आतंकवाद, रक्षा सहयोग और व्यापार पर बातचीत होना तय है
- पाकिस्तान की नई सरकार पर राय, एच-1बी वीजा की प्रक्रिया में बदलाव जैसे मुद्दे पर भी बात हो सकती है
- काफी समय से लंबित मामलों और संचार-सुरक्षा समझौते (सीओएमसीएएसए) पर एकमत हो सकते हैं
- सीओएमसीएएसए से भारतीय सेना को अहम अमेरिकी सैन्य तकनीक हासिल करने में आसानी होगी

12 सदस्यीय प्रतनिधिमंडल भाग लेंगे
 वार्ता में दोनों देशों की तरफ से 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के भाग लेने की संभावना है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के प्रमुख जनरल जोसेफ डनफोर्ड भी शामिल हैं। 

अलग-अलग बैठक होगी 
गुरुवार सुबह सुषमा स्वराज की पोम्पियो के साथ और सीतारमण की मैटिस के साथ अलग-अलग बातचीत होगी। इसके बाद दोनों देशों के मंत्री टू प्लस टू बैठक करेंगे। लंच के बाद स्वराज, सीतारमण, पोम्पियो और मैटिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। पोम्पियो गुरुवार शाम ही अमेरिका चले जाएंगे, जबकि मैटिस शुक्रवार सुबह रवाना होंगे।  

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क्या है टू प्लस टू वार्ता
अमेरिकी डिप्लोमेसी का खास कॉन्सेप्ट है टू प्लस टू मैकेनिज्म। इसमें अमेरिका और सहयोगी देश के विदेश और रक्षा मंत्री एक साथ मिलते हैं।

ऐसे काम करता है
दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्री अपने-अपने देशों की रणनीति का ध्यान रखते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम राय पर पहुंचते हैं। राष्ट्राध्याक्षों की समिट के दौरान इस पर अंतिम निर्णय होता है। 

इसलिए बेहतर है व्यवस्था
दो देशों के बीच मुख्य रणनीति संबंध विदेश और रक्षा मंत्रालय ही देखते हैं। ऐसे में इन मंत्रियों के आपस में मिलने से कई महत्वपूर्ण निर्णय होते हैं। 

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