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कृषि कानून: किसान संगठनों को सरकार की ओर से फिर मिला बातचीत का न्योता, तारीख बताने को कहा

केंद्र सरकार ने रविवार को तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है और कहा है कि वे इसकी तिथि तय करें।...

कृषि कानून: किसान संगठनों को सरकार की ओर से फिर मिला बातचीत का न्योता, तारीख बताने को कहा
भाषा,नई दिल्लीMon, 21 Dec 2020 05:41 AM
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केंद्र सरकार ने रविवार को तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है और कहा है कि वे इसकी तिथि तय करें। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के संगठनों को एक पत्र लिखा है।

उल्लेखनीय है कि किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं। सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है।

गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान डटे हुए हैं। केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

दूसरी ओर, केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने रविवार को घोषणा की कि वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में बीते करीब चार हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बार-आर नए कृषि कानूनों के लाभों के बारे में समझाने की कोशिश की है।

इस बीच, किसान संगठन आंदोलन तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं। स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''सोमवार को किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ सभी प्रदर्शन स्थलों पर एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। इसकी शुरुआत सिंघु बॉर्डर समेत यहां प्रदर्शन स्थलों पर 11 सदस्यों का एक दल करेगा।" उन्होंने कहा, ''हम देशभर में सभी प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद सभी लोगों से इसमें भाग लेने की अपील करते हैं।" यादव ने कहा, ''प्रदर्शनकारियों को हरियाणा सरकार द्वारा धमकाया जा रहा है। यह उच्चतम न्यायालय के निर्देश के विरुद्ध है। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि कल से किसानों को परेशान करना बंद किया जाए।"

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार (17 दिसंबर) को कहा था कि किसान आंदोलन को 'बिना अवरोध' के चलने देना चाहिए और यह अदालत इसमें दखल नहीं देगी क्योंकि प्रदर्शन का अधिकार मौलिक अधिकार है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला ने बताया कि किसान 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी टोल बूथ पर हम टोल वसूली नहीं होने देंगे, हम उन्हें ऐसा करने से रोकेंगे। 27 दिसंबर को हमारे प्रधानमंत्री अपने 'मन की बात' करेंगे और हम लोगों से अपील करना चाहते हैं कि उनके भाषण के दौरान थालियां बजाएं।"

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाएंगे। उन्होंने कहा, ''हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि इस दिन वे दोपहर का भोजन न पकाएं।" ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने अनेक व्यापारी संगठनों को पत्र लिखकर उनसे किसानों के आंदोलन को समर्थन देने का अनुरोध किया है।

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