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कृषि कानूनों पर राजनाथ सिंह ने किसानों से मांगा दो साल का वक्त, दिया 1991 के आर्थिक सुधारों का हवाला

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि नए कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने के प्रयास सफल नहीं होंगे। हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर नीत भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर एक राज्य...

कृषि कानूनों पर राजनाथ सिंह ने किसानों से मांगा दो साल का वक्त, दिया 1991 के आर्थिक सुधारों का हवाला
भाषा,शिमलाSun, 27 Dec 2020 05:37 PM
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि नए कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने के प्रयास सफल नहीं होंगे। हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर नीत भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाएंगे, लेकिन कांग्रेस उन्हें (किसानों को) गुमराह कर रही है।

सिंह ने डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब कभी कभी सुधार लागू किए जाते हैं, तब इसके सकारत्मक परिणाम दिखने शुरू होने में कुछ साल लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे वह तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए 1991 के आर्थिक सुधार हों या फिर वापजेयी सरकार के दौरान लाए गए अन्य सुधार हों, उनके सकारात्मक परिणाम दिखने में चार-पांच साल लग गए।

रक्षा मंत्री ने कहा, ''इसी तरह, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए कृषि सुधारों के सकारात्मक परिणामों को देखने के लिए यदि हम चार-पांच साल इंतजार नहीं कर सकते हैं, तो हम कम से कम दो साल तो इंतजार कर ही सकते हैं।" नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान करीब एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर पिछले लगभग एक महीने से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।

क्या है मामला
कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था। सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी। वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।

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