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BJP को एक और झटका, नागरिकता बिल के मुद्दे पर असम गण परिषद ने समर्थन लिया वापस

असम गण परिषद (एजीपी) ने नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर सोमवार को असम की भाजपा नीत सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। एजीपी अध्यक्ष और मंत्री अतुल बोरा ने यह जानकारी दी। यह विधेयक बांग्लादेश,...

BJP को एक और झटका, नागरिकता बिल के मुद्दे पर असम गण परिषद ने समर्थन लिया वापस
नई दिल्ली, भाषाMon, 07 Jan 2019 05:42 PM
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असम गण परिषद (एजीपी) ने नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर सोमवार को असम की भाजपा नीत सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। एजीपी अध्यक्ष और मंत्री अतुल बोरा ने यह जानकारी दी।

यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया गया है। बोरा ने कहा कि एजीपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। इसके बाद यह निर्णय लिया गया।

गृहमंत्री से मुलाकात के बाद, नयी दिल्ली में बोरा ने कहा, 'हमने इस विधेयक को पारित नहीं कराने के लिए केंद्र को मनाने के लिए आज आखिरी कोशिश की। लेकिन सिंह ने हमसे स्पष्ट कहा कि यह लोकसभा में कल (मंगलवार) पारित कराया जाएगा। इसके बाद, गठबंधन में बने रहने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।'

इससे पहले यहां एजीपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत ने बयान दिया था कि अगर नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 लोकसभा में पारित होता है तो उनकी पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। यह विधेयक कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।
     
पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ लोगों का बड़ा तबका प्रदर्शन कर रहा है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कुछ अन्य पार्टियां लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं। उनका दावा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है और यह असंवैधानिक है।

बताते चलें कि असम विधानसभा के 126 सदस्यों में भाजपा के 61 विधायक हैं। एजीपी के कुल 14 विधायक हैं। वहीं, इसके अलावा बोडो लैंड पीपुल्स फ्रंट के 12 विधायक हैं।

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