15 किमी लंबा नेटवर्क, अगरतला से कोलकाता की दूरी घटी; भारत-बांग्लादेश के बीच नई रेल लाइन की खासियतें
सीनियर अधिकारी ने बताया, 'इस रेल नेटवर्क प्रोजेक्ट का ट्रायल टेस्ट सोमवार को दोपहर 12 बजे किया किया, जो कि पूरी तरह से सफल रहा। परियोजना में एक प्रमुख पुल और तीन छोटे पुल शामिल हैं।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना बुधवार को सीमा पार रेलवे परियोजना की संयुक्त रूप से शुरुआत करेंगे। दोनों पड़ोसी देशों के प्रधानमंत्री सुबह 11 बजे ऑनलाइन कार्यक्रम में अगरतला-अखौरा क्रॉस बॉर्डर रेल संपर्क परियोजना की शुरुआत करने वाले हैं। यह 15 किलोमीटर लंबा रेल संपर्क होगा, जिसका 5 किलोमीटर का हिस्सा भारत और 10 किलोमीटर बांग्लादेश में होगा। सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देने में इसे अहम माना जा रहा है। साथ ही इसके बनने से ढाका के रास्ते अगरतला से कोलकाता आने-जाने में लगने वाला समय भी घटाएगा।
इस प्रोजेक्ट का ट्रायल टेस्ट सोमवार को दोपहर 12 बजे हुआ, जो सफल रहा। परियोजना में एक प्रमुख पुल और तीन छोटे पुल शामिल हैं। अधिकारी ने बताया, 'वर्तमान में ट्रेन को अगरतला से कोलकाता पहुंचने में करीब 31 घंटे का समय लगता है, जो 10 घंटे कम हो जाएगा।' उन्होंने बताया कि परियोजना के काम में तेजी लाने के लिए भारतीय रेल ने अपने बजट से 153.84 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। मालूम हो कि त्रिपुरा बांग्लादेश के साथ 856 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। इसके कुछ हिस्सों में स्थानीय स्तर पर विवाद है जिसके कारण अभी भी बाड़ नहीं लगाई गई है। देश के बाकी हिस्सों से राज्य का एकमात्र सड़क संपर्क असम और सिलीगुड़ी में भूमि की संकीर्ण पट्टी है।
सफल रहा ट्रायल रन, इंजीनियर ने बताया
अगरतला-अखौरा रेलवे प्रोजेक्ट भारत और बांग्लादेश के बीच यात्री और माल दोनों की आवाजाही के लिए दोहरी गेज स्टेशन है। यह पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, असम और मिजोरम के दक्षिणी हिस्से के लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होने वाला है। बांग्लादेश रेलवे के सीनियर इंजीनियर लियाफ्ता अली मजूमदार ने कहा, 'ट्रायल रन सफल रहा है। दोनों देशों की सरकारों के बीच बातचीत के आधार पर यात्री ट्रेनें शुरू होने की संभावना है।' इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो औपनिवेशिक युग के दौरान अखौरा अगरतला के लिए रेलवे लिंक हुआ करता था। आधिकारियों के अनुसार, अगरतला-अखौरा मार्ग से भारत-बांग्ला अंतरराष्ट्रीय रेलवे लिंक के निर्माण पर अब तक 862.5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह प्रोजेक्ट 2020 में ही पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया था, मगर भूमि अधिग्रहण और कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई।