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नाबालिगों से रेप पर सजा-ए-मौतः अध्यादेश के बाद कठुआ मामले में पीड़ित के पिता बोले.. 

जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में दुष्कर्म के बाद मारी गई बच्ची के पिता ने 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने के अध्यादेश के बाद अब न्याय मिलने की उम्मीद जताई...

नाबालिगों से रेप पर सजा-ए-मौतः अध्यादेश के बाद कठुआ मामले में पीड़ित के पिता बोले.. 
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 22 Apr 2018 09:09 AM
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जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में दुष्कर्म के बाद मारी गई बच्ची के पिता ने 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने के अध्यादेश के बाद अब न्याय मिलने की उम्मीद जताई है।

उन्होंने कहा, दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने का अध्यादेश पारित किया जाना अच्छा कदम है। हमें न्याय मिलने की उम्मीद है। पीड़ित लड़की के पिता ने कहा, हम साधारण लोग हैं और ऐसे फैसलों की बारीकियों के बारे में नहीं जानते। उन्होंने हालांकि कहा कि सरकार जो कर रही है अच्छा कर रही है और हमें अपनी बच्ची के लिए न्याय मिलने की उम्मीद है। 
 चुनाव को देखते हुए अध्यादेश लाया गया : निर्भया के पिता
निर्भया के पिता ने शनिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लाये गए 12 वर्ष से कम आयु की बच्ची से बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को औचित्यहीन  करार दिया है। उनका आरोप है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह फैसला किया गया है।

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उन्होंने कहा, बलात्कार बलात्कार होता है चाहे नाबालिग से हो या व्यस्क से। अध्यादेश में 12 वर्ष से कम आयु की बच्ची से बलात्कार के लिए ही मृत्युदंड का प्रावधान क्यों है ? सभी बलात्कारियों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड दिया जाना चाहिए , चाहे पीड़िता की आयु जो भी हो। दक्षिणी दिल्ली के एक इलाके में 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में निर्भया का बलात्कार किया था और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। निर्भया के पिता ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि नये प्रावधान के तहत किशोर आरोपियों से कैसे निबटा जाएगा। 

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अध्यादेश के अहम प्रावधान 
- बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएंगी
-  मामलों में पीड़ितों का पक्ष रखने के लिए राज्यों में विशेष लोक अभियोजकों के नए पद सृजित होंगे 
- वैज्ञानिक जांच के लिए सभी पुलिस थानों और अस्पतालों में विशेष फॉरेंसिक किट मुहैया कराई जाएंगी
-रेप की जांच को समर्पित पुलिस बल होगा, जो समय सीमा में जांच कर आरोप पत्र अदालत में पेश करेगा 
- क्राइम रिकार्ड ब्यूरो यौन अपराधियों का डेटा तैयार करेगा, इसे राज्यों से साझा किया जाएगा 
- पीड़ितों की सहायता के लिए देश के सभी जिलों में एकल खिड़की बनाया जाएगा। 

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पॉक्सो क्या है 
- 14 नवंबर 2012 को ‘द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पॉक्सो) एक्ट लागू हुआ। 
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों व किशोरों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है। 
- पहली बार कानून में यौन उत्पीड़न के विभिन्न स्वरूपों को परिभाषित किया गया। बच्चों की कस्टडी के दौरान पुलिस व कर्मचारियों की ओर से किए गए उत्पीड़न के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए। 

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