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नागरिकता संशोधन कानून के बाद अब असम के लोगों में अल्पसंख्यक होने का डर

नागरिकता संशोधन विधेयक से असम की राजनीतिक, भाषायी या भूमि से जुड़े अधिकारों को कोई नुकसान न पहुंचने के आश्वासनों के बावजूद वहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सरकार का कहना है कि पूर्वोत्तर के इलाकों में...

नागरिकता संशोधन कानून के बाद अब असम के लोगों में अल्पसंख्यक होने का डर
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली।Fri, 13 Dec 2019 07:52 AM
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नागरिकता संशोधन विधेयक से असम की राजनीतिक, भाषायी या भूमि से जुड़े अधिकारों को कोई नुकसान न पहुंचने के आश्वासनों के बावजूद वहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सरकार का कहना है कि पूर्वोत्तर के इलाकों में यह कानून लागू नहीं होगा, क्योंकि पूर्वोत्तर के ज्यादातर हिस्से इनर लाइन परमिट या संविधान की छठी अनुसूची के कारण नए कानून के दायरे में नहीं हैं।

असम
असम में तीन स्वायत्त जिला परिषदें हैं, इन्हें छोड़कर बाकी में पूरे राज्य में नया कानून लागू हो सकता है। स्थानीय लोगों में आशंका है कि नए कानून से कामकाज, रोजगार पर असर पड़ेगा। आबादी में वे अल्पसंख्यक हो जाएंगे।

मेघालय
मेघालय में तीन स्वायत्त जिला परिषदें हैं, लेकिन तकरीबन पूरा राज्य इसके दायरे में है। राजधानी शिलांग के कुछ हिस्से में ही नया कानून लागू होगा।

 

त्रिपुरा
त्रिपुरा में एक स्वायत्त जिला परिषद है, लेकिन राज्य का 70 फीसदी क्षेत्र इसके दायरे में है। शेष 30 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र में राज्य की दो तिहाई आबादी है, जहां नया कानून लागू होगा।

 

मिजोरम
मिजोरम में तीन स्वायत्त जिला परिषदें हैं, लेकिन पूरा राज्य इनर लाइन परमिट से सुरक्षित है। उसे संविधान की छठी अनुसूची में भी रखा गया है, ऐसे में यहां नया कानून लागू नहीं होता।

इनर लाइन परमिट से सुरक्षा
इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के तहत आने वाले इलाकों में जाने के लिए देश के दूसरे हिस्से के बाशिंदों को संबंधित राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। आईएलपी से सुरक्षित इलाकों में नया नागरिकता कानून लागू नहीं होगा, यानी ऐसे शरणार्थियों के वहां जाकर बसने का खतरा नहीं है।

छठवीं अनुसूची के तहत विशेषाधिकार
पूर्वोत्तर के कई क्षेत्रों को संविधान की छठी अनुसूची में रखा गया है। इन इलाकों को विशेष अधिकार प्राप्त हैं। इन राज्यों में स्वायत्त जिला परिषद हैं। इन परिषदों को अपने इलाके में कोई कानून लागू करने या न करने का अधिकार प्राप्त है। ऐसे में नया नागरिकता कानून यहां भी लागू नहीं होता।

इन क्षेत्रों में भी असर नहीं
पूरा अरुणाचल प्रदेश इनर लाइन परमिट के अंतर्गत आता है, वहां नया कानून लागू नहीं होता।
दीमापुर छोड़कर नगालैंड का भी पूरा इलाका इनर लाइन परमिट से सुरक्षित रखा गया है।
मणिपुर को भी इनर लाइन परमिट से सुरक्षित करने की कवायद सरकार ने कर दी है।

कैब और एनआरसी के बीच भ्रम
असम, त्रिपुरा में नागरिकता संशोधन कानून (कैब)और एनआरसी को लेकर भ्रम हो रहा है। स्थानीय लोगों को आशंका है कि एनआरसी के तहत बाहरी घोषित लोगों को यहां बसने का अधिकार मिल जाएगा।

 क्या है नया कानून
नए नागरिकता कानून के मुताबिक पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार वो हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके हों।

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