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दंगों का दंश: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कारोबार पटरी से उतरा, रद्द हो रहे ऑर्डर

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुर्ई हिंसा से किसी का घर तबाह हुआ तो किसी का उद्योग। होली में कपड़ों की सप्लाई का दबाव फैक्टरी मालिकों पर था, लेकिन कारीगरों के घर जाने से कई लोगों को अपनी फैक्टरियां बंद करनी...

दंगों का दंश: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कारोबार पटरी से उतरा, रद्द हो रहे ऑर्डर
लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 02 Mar 2020 05:36 AM
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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुर्ई हिंसा से किसी का घर तबाह हुआ तो किसी का उद्योग। होली में कपड़ों की सप्लाई का दबाव फैक्टरी मालिकों पर था, लेकिन कारीगरों के घर जाने से कई लोगों को अपनी फैक्टरियां बंद करनी पड़ी। वहीं, थोक व्यापारियों के गोदाम में ही फल सड़ गए। इसका असर कारोबार पर पड़ा है। दंगा प्रभावित इलाकों के प्रमुख कारोबार के हाल पर अभिनव उपाध्याय की रिपोर्ट... 

कपड़ा फैक्टरियां: चांदनी चौक से मिले कई ऑर्डर कैंसिल हो गए 

उत्तर पूर्वी दिल्ली स्थित मौजपुर इलाके में बड़े पैमाने पर कपड़ों की सिलाई का काम होता है। मौजपुर  के मोहनपुरी निवासी मंसूर अली की कपड़ा सिलाई फैक्टरी है। उन्होंने बताया कि 28 मजदूर मेरी फैक्टरी में काम करते हैं, लेकिन दंगे के कारण सभी मजदूर अपने-अपने गांव चले गए। इस कारण चांदनी चौक से मिले कई ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं, क्योंकि बिना कारीगरों के कपड़े कौन तैयार करेगार्। हिंसा के दौरान मंसूर के दो लाख रुपये और 20 तोले सोना दंगाइयों ने लूट लिया। यहीं हाल यहां स्थित बाकी फैक्टरियों के मालिकों का भी  है। 

हालांकि, यहां पर दंगों के दौरान हुए नुकसान का आंकड़ा न तो प्रशासन ने जारी किया है और न ही कोई अधिकृत जानकारी इस बारे में है। मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां कपड़ा व्यापारियों को दंगे के बाद से अब तक लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है। अब यहां पर कारोबार के लिए हालात जल्द सामान्य होते भी नहीं दिख रहे हैं। इस सब से यहां के कारोबारी परेशान हैं। 

स्टील व्यापार: स्टील और लकड़ी व्यापारी परेशान 

नूर ए इलाही, चांदबाग और शिवपुरी इलाकों में स्टील या लकड़ी का काम होता है। इन इलाकों में हुर्ई हिंसा के बाद अब स्टील और लकड़ी का कारोबार पूरी तरह से ठप है। नूर ए इलाही इलाके में ट्रॉफियां बनाने वाले शकील अहमद ने बताया कि हिंसा के बाद से हम दुकान नहीं खोल रहे हैं। अभी यहां के लोगों में हिंसा को लेकर खौफ है। 

उन्होंने बताया कि हमारे पास मजदूर नहीं हैं, इसलिए ऑर्डर समय पर पूरे नहीं हो पाएंगे। बाहर के व्यापारी भी अब बड़े ऑर्डर कैंसिल कर अन्य जगह के लोगों को दे रहे हैं, ताकि समय पर उनका काम पूरा हो सके। दंगे और इसके बाद उपजे हालातों के कारण अब तक लाखों का नुकसान हो चुका है। इन इलाकों में लकड़ी के विभिन्न सामान भी तैयार किए जाते हैं। हिंसा की वजह से इस काम में भी कमी आई है। लकड़ी कारोबारी भी हालात जल्द से जल्द सामान्य होने की उम्मीर कर रहे हैं। 

गांधी नगर में करोड़ों का नुकसान 

कपड़ों के लिए एशिया की बड़ी मार्केट गांधी नगर में दंगा तो नहीं हुआ, लेकिन दंगों के कारण यहां की मार्केट बुरी तरह से प्रभावित हुई है। गांधी नगर में कपड़ों का कारोबार सबसे अधिक है, लेकिन इन कपड़ों की सिलाई का काम उत्तर पूर्वी दिल्ली र्के हिंसाग्रस्त इलाकों में ही होता है। यही नहीं, गांधी नगर में कपड़ों की दुकानों पर र्पैंकग या अन्य काम करने वाले अधिकांश कारीगर और मजदूर भी दंगा प्रभावित इलाकों में रहते हैं। दंगा के कारण वह अपना कमरा छोड़कर गांव चले गए हैं। 

होल सेल गारमेंट एसोसिएशन अशोक बाजार गांधी नगर के अध्यक्ष केके बल्ली ने बताया कि दंगों के बाद से कपड़ा सिलाई फैक्टरियों में काम करने वाले कई मजदूर काम पर नहीं लौटे हैं। मजदूरों में हिंसा को लेकर अभी भी भय बना हुआ है। अधिकांश मजदूर किराये पर रहते हैं और वह डर की वजह से गांव चले गए हैं। 

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