अयोध्या फैसले के बाद धार्मिक नेताओं से मिले NSA अजीत डोभाल, आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद रविवार को प्रमुख हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के साथ बैठक की। अधिकारियों ने इस बारे में...

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद रविवार को प्रमुख हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के साथ बैठक की। अधिकारियों ने इस बारे में बताया। उन्होंने बताया कि धार्मिक नेताओं ने शांति और सद्भाव बनाए रखने के सभी प्रयासों में सरकार को निरंतर समर्थन देने का संकल्प जताया।
कुछ राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा हालात का फायदा उठाने की कोशिश की आशंका के बीच उन्होंने अमन-चैन बनाए रखने की अपील की। डोभाल के आवास पर यहां चार घंटे की बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक बैठक में जिन्होंने हिस्सा लिया, वो इस तथ्य से वाकिफ हैं कि देश के बाहर और भीतर, कुछ राष्ट्रविरोधी और असमाजिक तत्व हमारे राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं ।
Joint statement by religious leaders after meeting NSA Ajit Doval: Those attending the meeting were alive to the fact that certain anti-national&hostile elements, both within&outside the country, may attempt to exploit the situation to harm our national interest. #AyodhyaVerdict https://t.co/2aL1Go9R5G
— ANI (@ANI) November 10, 2019
बता दें कि दशकों पुराने अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का शनिवार का अंत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ नेअपने 1045 पन्नों के फैसले में कहा कि नयी मस्जिद का निर्माण 'प्रमुख स्थल पर किया जाना चाहिए । साथ ही उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए जिसके प्रति हिन्दुओं की यह आस्था है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था।
इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। विवादित स्थल गिराये जाने की घटना के बाद देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क गये थे। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाये, जो इस मामले में एक वादकारी हैं। हालांकि यह भूमि केन्द्र सरकार के रिसीवर के कब्जे में ही रहेगी।