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अस्तित्व बचाने की जंगः त्रिपुरा में मिली करारी हार के बाद माकपा ले सकती है ये बड़ा फैसला

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में माकपा को मिली भारी शिकस्त ने उसे अपनी रणनीतियों पर फिर से सोचने के लिये मजबूर कर दिया है और पार्टी के अंदर भी कांग्रेस के साथ ''तालमेल बैठाने की जोर शोर से मांग...

अस्तित्व बचाने की जंगः त्रिपुरा में मिली करारी हार के बाद माकपा ले सकती है ये बड़ा फैसला
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 04 Mar 2018 12:10 PM
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त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में माकपा को मिली भारी शिकस्त ने उसे अपनी रणनीतियों पर फिर से सोचने के लिये मजबूर कर दिया है और पार्टी के अंदर भी कांग्रेस के साथ ''तालमेल बैठाने की जोर शोर से मांग उठ रही है। अगले महीने पार्टी की अहम बैठक होने वाली है।

पार्टी नेताओं ने कहा कि त्रिपुरा में मिली भारी शिकस्त के बाद माकपा का अस्तित्व बनाये रखने के लिये ''सही रणनीति अपनाने को लेकर पार्टी के अंदर कई सवाल उठ रहे हैं।

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में कल भाजपा-आईपीएफटी ने मिलकर इतिहास रचते हुए दो तिहाई बहुमत से जीत दर्ज की। इस जीत से राज्य में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के 25 साल के निर्बाध शासन का खात्मा हो गया।

माकपा पोलितब्यूरो के सदस्य हन्नन मोल्लाह ने बताया कि त्रिपुरा में हार के बाद पार्टी सबसे मुश्किल दौर का सामना कर रही है। इस हार ने हमें ''नये तरीके से फिर से सोचने पर मजबूर किया है।

उन्होंने कहा ''हमने अपने मसौदा प्रस्ताव में कहा है कि हम कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं चाहते। पर त्रिपुरा में हार के बाद अब बिल्कुल नयी परिस्थिति सामने आ गयी है। हमें अपनी रणनीतियों एवं राजनीतिक धारा पर फिर से विचार करना होगा। 

बहरहाल 21 जनवरी को माकपा केंद्रीय समिति ने पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी द्वारा प्रस्तावित कांग्रेस के साथ गठबंधन संबंधी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था।

पार्टी ने एक नया मसौदा प्रस्ताव मजूर किया जिसे अगले माह पार्टी की कांग्रेस के समक्ष रखा जाएगा। इसमें कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इंकार किया गया है।

  माकपा पोलित ब्यूरो के एक अन्य सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि पार्टी त्रिपुरा में मिली हार सहित तमाम पहलुओं पर चर्चा करेगी।

बहरहाल केंद्रीय समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर पीटीआई-भाषा को बताया कि मौजूदा हालात में ऐसी ''संभावनाएं अधिक हैं, जिनमें कांग्रेस के साथ तालमेल के रास्ते खुले हों।

उन्होंने कहा ''कांग्रेस के साथ तालमेल के लिए बीच का रास्ता चुनना होगा। हम भाजपा को वाम धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक बलों के बीच विभाजन का लाभ लेने नहीं दे सकते।

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