Jaya Prada Joins BJP: जयप्रदा सम्मान की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचा सकेंगी!
Jaya Prada Joins BJP: जयाप्रदा भाजपा में शामिल हो गईं और उनके रामपुर से चुनाव लड़ने पर भी मुहर लग गई। इससे यूपी की सियासत के दो धुर विरोधियों के आमने-सामने आने से रामपुर संसदीय सीट पर जंग रोचक होनी...
Jaya Prada Joins BJP: जयाप्रदा भाजपा में शामिल हो गईं और उनके रामपुर से चुनाव लड़ने पर भी मुहर लग गई। इससे यूपी की सियासत के दो धुर विरोधियों के आमने-सामने आने से रामपुर संसदीय सीट पर जंग रोचक होनी लाजिमी है। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी घोषित करने के बाद क्या हालात बनते हैं और मुकाबला किस मोड़ पर पहुंचता है।
जया का सियासी सफर आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी से शुरू हुआ लेकिन संसद पहुंचने का सपना तब पूरा हो सका जब वर्ष 2004 में वह सपा के टिकट पर रामपुर से सांसद बनीं। इस चुनाव में आजम खां ने उनके लिए प्रचार किया लेकिन वक्त के साथ आजम व जया में शुरू हुई सियासी अदावत निजी सम्मान तक जा पहुंची।
कायम किया भवनात्मक रिश्ता : जयाप्रदा ने रामपुर में सभी वर्गों के काम कर एक अलग छवि बनाई। वर्ष 2009 आते-आते मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह से समझौता किया। आजम इससे सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि इसके पीछे अमर सिंह की भूमिका थी। चूंकि वह अमर सिंह की करीबी थीं लिहाजा आजम से उनके रिश्ते बिगड़ते गए। आजम को सपा से निकाल दिया गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में तमाम विरोध के बावजूद वह जीतीं।
जातीय समीकरण महत्वपूर्ण : रामपुर में चुनाव हमेशा दो ध्रुवों के बीच होते रहे हैं लेकिन वहां कुछ जातियां खासी मायने रखती हैं। मसलन, दलित खासतौर पर शहरी इलाके में वाल्मीकि और सोनकर, ग्रामीण इलाकों में काछी, लोध एवं कुर्मी, सिख राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। बसपा का भी यहां अपना वोटबैंक रहा है। लिहाजा सपा-बसपा का दावा मजबूत जरूर दिखता है लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी के चलते मुकाबला त्रिकोणीय होने पर नतीजे क्या होंगे यह देखना दिलचस्प होगा।
जयाप्रदा के टिकट से सपा में बढ़ी बेचैनी
पूर्व सांसद जयाप्रदा को रामपुर से प्रत्याशी बनाए जाने से भाजपा में खुशी की लहर है वहीं, सपा की बेचैनी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि जया के टिकट से आजम खां के लिए यह मुकाबला काफी कड़ा हो गया है। जया प्रदा को लेकर यूं तो काफी समय से चर्चाएं थीं लेकिन तीन दिन से भाजपा में आने को लेकर माहौल गर्माया हुआ था।
कांग्रेस प्रत्याशी पर निर्भर करेगा मुकाबला
कांग्रेस ने अभी रामपुर से प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। रामपुर हमेशा से कांग्रेस की सीट मानी जाती रही है। आजादी के बाद से हुए चुनावों में कांग्रेस 9 बार जीती, जबकि भाजपा दो बार- वर्ष 1998 में और 2014 में जीती। गठबंधन से आजम खां मैदान में हैं और भाजपा से जया प्रदा। मुकाबला त्रिकोणीय हुआ तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बसपा का वोट बैंक किस स्तर तक सपा के पाले में जाता है?
रामपुर के बगैर जी नहीं पाऊंगी : जया
सिने तारिका और रामपुर से भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा ने कहा कि रामपुर वालों ने जो प्यार मुझे दिया है, कभी भुलाया नहीं जा सकता। मैं रामपुर के बिना जी नहीं पाऊंगी। कहा कि बीते चार साल से मैं महसूस कर रही हूं कि देश में चौतरफा विकास हो रहा है। मुझे एक सशक्त नेतृत्व के साथ काम करने का मुझे मौका मिलेगा, उनसे जुड़ना ही मेरे लिए गौरव की बात है।