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अभिजीत: पीएचडी कराते समय डुफ्लो से प्रेम, 18 माह लिव इन में रहे

अभिजीत बनर्जी हार्वर्ड से पीएचडी पूरी करने के एक दशक बाद 1999 में मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से जुड़े। यहां उनकी देखरेख में एस्थर डुफ्लो ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी की और कई साल साथ...

अभिजीत: पीएचडी कराते समय डुफ्लो से प्रेम, 18 माह लिव इन में रहे
नई दिल्ली, एजेंसीTue, 15 Oct 2019 05:59 AM
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अभिजीत बनर्जी हार्वर्ड से पीएचडी पूरी करने के एक दशक बाद 1999 में मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से जुड़े। यहां उनकी देखरेख में एस्थर डुफ्लो ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी की और कई साल साथ बिताने के बाद दोनों जीवनसाथी बन गए। 

दोनों ने एमआईटी में ही लंबे वक्त तक साथ काम किया। अभिजीत और डुफ्लो ने करीब 18 माह लिव इन रिलेशिप में रहे और 2012 में उनके पहले बच्चे ने जन्म लिया। दोनों ने कानूनी तौर पर वर्ष 2015 में शादी कर ली। गरीबी के खिलाफ अपनी जंग में अभिजीत ने वर्ष 2003 में अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब बनाई। डुफ्लो नेभी एमआईटी में गरीबी उन्मूलन और विकासात्मक अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं। अभिजीत ने  अपनी किताब 'पुअर इकोनॉमिक्स : रिर्थिंकग पॉवर्टी एंड द वेस टू इंड इट' में लिखा कि गरीबी हटाने की योजनाएं सफल नहीं हो पाती हैं क्योंकि इनमें गरीबों के आर्थिक प्रोत्साहन को केंद्र में नहीं रखा जाता। 

दिल्ली से उदयपुर तक दौरा : दोनों गरीबों पर शोध को लेकर दिल्ली, आंध्र जैसे कई राज्यों का दौरा किया। 2006 में वे आंध्र के गुंटूर पहुंचे। क्योंकि उन्होंने उदयपुर में देखा महिलाएं बच्चों को टीकाकरण के लिए अस्पताल नहीं जा रहीं। फिर टीम ने टीकाकरण कराने वाली महिलाओं को क्लीनिक पर एक किलो दाल देने का कार्यक्रम चलाया व आश्चर्यजनक सफलता देखने को मिली। 

हमें रोजाना साफ पानी इकट्ठा करने या ईंधन जुटाने जैसी समस्याओं से जूझना नहीं पड़ता। जबकि गरीबों का वक्त इन्हीं कामों में बीत जाता है। उन्हें गुणवत्तापूर्ण समय का बिताने का मौका मिले तो बदलाव आएगा। 
-अभिजीत बनर्जी व एस्थर डुफ्लो, नोबेल विजेता

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