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आठवां फेरा : परिवार की खातिर छोड़ दी नौकरी

समाज ने बराबरी का रिश्ता कहा। बराबरी की बात कहकर सात फेरे पूरे हुए। मगर घर के अंदर कब पत्नी का दर्जा नीचे हो गया पता नहीं चला। यह सूरत है भारत की। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार...

आठवां फेरा : परिवार की खातिर छोड़ दी नौकरी
कार्यालय संवाददाता,नई दिल्लीSat, 12 Oct 2019 05:24 PM
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समाज ने बराबरी का रिश्ता कहा। बराबरी की बात कहकर सात फेरे पूरे हुए। मगर घर के अंदर कब पत्नी का दर्जा नीचे हो गया पता नहीं चला। यह सूरत है भारत की।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 15 से 49 साल के आयु वर्ग में 29 फीसदी महिलाओं ने पतियों द्वारा हिंसा झेली है। तीन प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने गर्भवती होते हुए हिंसा झेली है। हैरानी की बात ये है कि ज्यादातर महिलाएं खुद भी घरेलू हिंसा को अपने जीवन का सहज, स्वाभाविक हिस्सा मानती हैं। इस कारण जब वे ऐसी हिंसा का सामना करती हैं तो अक्सर इसकी किसी से शिकायत नहीं करतीं। पारिवारिक जिम्मेदारी और बच्चों की परवरिश का पूरा भार औरत के हिस्से आ जाता है। भले कानूनी तौर पर यह पति-पत्नी की साझा जिम्मेदारी हो, लेकिन हकीकत कुछ और है।

यही वजह है कि बच्चे के जन्म के बाद 43 प्रतिशत महिलाएं नौकरी छोड़ देती हैं और उनमें से 40 प्रतिशत दोबारा काम पर नहीं लौटतीं। ये दो महिलाएं सिर्फ उदाहरण हैं इसका, जिन्हें घरेलू काम और जिम्मेदारियों के तले अपना शौक और करियर को पीछे छोड़ना पड़ा। पूरे भारत की तस्वीर अलग है।

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परिवार की खातिर छोड़ दी नौकरी
एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली रूपा नेगी बेहद महत्वाकांक्षी थीं। अपने सपनों में रंग भरने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवार के सीमित संसाधनों में भी खुद को साबित किया। एमबीए करने के बाद कामयाब करियर बनाया। मगर शादी के बाद अचानक करियर खत्म हो गया। वजह थी पारिवारिक जिम्मेदारियां। रूपा की शादी संयुक्त परिवार में हुई, जहां परिवार करियर से पहले था। नौकरी के कारण परिवार पर वह ध्यान नहीं दे पा रही थी। नौकरी छोड़ने का दबाव बना। आखिर रूपा ने नौकरी छोड़ पारिवारिक जिम्मेदारियां ओढ़ लीं।
 

रूढ़ियों के आगे हार गया डांस का हुनर
प्रभा चौहान कॉलेज के वक्त से ही डांस में अव्वल थीं। कॉलेज समारोह के मंच से शुरू हुएडांस के शौक को वह करियर का मुकाम देना चाहती थी। बाकायदा नृत्य सीखा भी, लेकिन अपना सपना पूरा कर पाती उससे पहले शादी हो गई। शादी के बाद पति और ससुराल वालों ने इस मामले में प्रभा का साथ नहीं दिया। पति के मुताबिक डांस कोई सम्मानजनक प्रोफेशन नहीं है। करना है तो कुछ और करो। लेकिन प्रभा की सांसें डांस और आर्ट में बसती थीं, उसने कभी कोई और विकल्प सोचा ही नहीं था। करियर के चुनाव में ससुराल के दखल और रूढ़िवादी सोच के आगे प्रभा का हुनर हार गया।

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