लोकसभा में आधार संशोधन विधेयक पेश, जानिए क्या-क्या है नया
सरकार ने बुधवार को लोकसभा (Lok Sabha) में एक विधेयक पेश किया, जिसमें आधार संख्या (Aadhaar Number) धारण करने वाले नाबालिगों को 18 साल का होने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प दिया गया है।...
सरकार ने बुधवार को लोकसभा (Lok Sabha) में एक विधेयक पेश किया, जिसमें आधार संख्या (Aadhaar Number) धारण करने वाले नाबालिगों को 18 साल का होने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प दिया गया है। इसके अनुसार, बैंक खाता और मोबाइल फोन कनेक्शन जैसी सेवाओं के लिए आधार स्वैच्छिक होगा। साथ ही इसमें आधार के उपयोग के लिए तय नियम तोड़ने पर सख्त सजा देने का प्रावधान है।
लोक सभा में विधि एवं न्याय मंत्री (Law and Justice Minister) रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2018 पेश किया। इसका मकसद आधार, दूरसंचार क्षेत्र और बैंकिंग विनयमन को नियंत्रित करने वाले तीन अलग-अलग कानूनों में संशोधन करना है।
इसके मुताबिक, सेवा प्रदाताओं को उन लोगों की बुनियादी बायोमेट्रिक जानकारी और आधार संख्या का भंडारण करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिन्होंने अपनी पहचान के सत्यापन के लिए स्वैच्छिक तौर पर इस राष्ट्रीय आईडी दी है। इसमें यह भी साफ किया गया है कि आधार पेश नहीं करने वाले किसी व्यक्ति को चाहे बैंक खाता हो या सिम कार्ड, किसी भी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता।
विधेयक में कहा गया है कि आधार संख्या का ऑफलाइन सत्यापन या किसी अन्य तरीके से भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्वैच्छिक उपयोग के लिए उपबंध सिर्फ आधार धारक की सहमति से ही किया जा सकता है।
बीते साल 27 जुलाई को न्यायमूर्ति (रिटायर) बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की समिति ने व्यक्तिगत डाटा सुरक्षा विधेयक और डाटा सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें आधार अधिनियम में कुछ संशोधन सुझाए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक खंडपीठ ने न्यायमूर्ति (रिटायर) के.एस. पुट्टास्वामी और अन्य बनाम भारतीय संघ एवं अन्य के फैसले में 24 अगस्त 2017 को निजता को संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन मूल अधिकार घोषित किया था। इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2018 के अपने फैसले से कुछ परिवर्तनों के साथ आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता की पुष्टि की।
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इसमें कहा गया है कि 122 करोड़ से अधिक आधार संख्या जारी किए जाने तथा भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं अन्य अस्तित्वों के विभिन्न प्रयोजनों के लिए पहचान के सबूत के रूप में आधार के बृहद उपयोग को ध्यान में रखते हुए आधार के प्रचालन के लिए विनियामक ढांचा होना जरूरी है। इसलिए प्राधिकरण के पास प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिए विनियामक शक्तियां होनी चाहिए।
अहम प्रावधान :
- आधार धारक नाबालिग 18 साल का होने पर अपनी आधार संख्या रद्द करा सकेंगे
- बैंक खाता, मोबाइल फोन कनेक्शन जैसी सेवाओं के लिए आधार स्वैच्छिक होगा
- आधार प्रस्तुत नहीं करने वाले को किसी भी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता
- आधार संख्या के उपयोग के लिए निर्धारित नियमों को तोड़ने पर सख्त सजा होगी
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विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है :
इसमें निजता के अधिकार का कोई हनन नहीं होगा। इसमें निजता को सुरक्षित रखा गया है। डेटा संरक्षण पर विधेयक तैयार है और उसे जल्द लाया जाएगा।
विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ : विपक्ष
आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2018 पेश किए जाने का कांग्रेस के शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय और आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने विरोध किया। इन नेताओं ने कहा कि यह प्रस्तावित कानून आधार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। यह निजता के अधिकार का हनन भी है। इस पर विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ये आपत्तियां आधारहीन हैं। यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप लाया गया। इससे आदेश का किसी तरह का उल्लंघन नहीं होता है।