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खतरनाक: सेना के फिटनेस टेस्ट में फेल हुए 99 फीसदी नौजवान, किसी का फूला दम तो कोई सीने के माप में हुआ बाहर

बुजुर्ग ही नहीं गंगा-जमुना के दोआबा में नौजवानी भी फिटनेस के मामले में बेहद खतरनाक दौर से गुजर रही है। सहारनपुर में पिछले महीने हुई सेना भर्ती की दौड़ और शारीरिक दक्षता परीक्षा को करीब एक फीसदी...

 खतरनाक: सेना के फिटनेस टेस्ट में फेल हुए 99 फीसदी नौजवान, किसी का फूला दम तो कोई सीने के माप में हुआ बाहर
मेरठ। मुख्य संवाददाता Sun, 18 Nov 2018 11:47 AM
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बुजुर्ग ही नहीं गंगा-जमुना के दोआबा में नौजवानी भी फिटनेस के मामले में बेहद खतरनाक दौर से गुजर रही है। सहारनपुर में पिछले महीने हुई सेना भर्ती की दौड़ और शारीरिक दक्षता परीक्षा को करीब एक फीसदी नौजवान ही पास कर पाए। यानी 99 फीसदी युवा अनफिट हो गए। कुल 87 हजार 244 नौजवानों ने ऑनलाइन आवेदन किया था और इनमें से महज एक हजार 66 ही पास हो पाए। अब 25 तारीख को पास होने वालों की लिखित परीक्षा मेरठ स्थित भर्ती कार्यालय में होने जा रही है। 

मेरठ थल सेना भर्ती कार्यालय ने 20 सितंबर तक मेरठ-सहारनपुर मंडल के युवाओं से सेना में भर्ती के लिए आवेदन मांगे। कुल 87 हजार 244 युवाओं ने आवेदन किया। छह से 16 अक्तूबर तक हुई भर्ती में इनमें से करीब 65 हजार ही पहुंचे। यानी करीब 22 हजार युवा इस भर्ती में आवेदन के बावजूद दौड़ने का हौसला नहीं जुटा सके। जो गए उनमें से 80 फीसदी युवाओं का दम दौड़ में ही फूल गया। जो दौड़ पास कर रहे हैं उनमें से 10 से 15 फीसदी युवा सीने की माप में बाहर हो गए। हड्डियों की बीमारियां, फ्लैट फुट, खराब दांत और कान के पर्दे में छेद जैसी बीमारियों ने भी युवाओं के सपने तोड़ दिए। साढ़े सत्रह से 23 वर्ष के युवाओं को 1.6 किलोमीटर की दौड़ पांच मिनट में पूरी करनी होती है पर करीब दस फीसदी युवा ही इस दौड़ को पास कर पाए। जो दौड़ पास कर गए उनकी लंबाई, सीने की चौड़ाई, वजन आदि की माप-तौल हुई। 

भर्ती के लिए सीने की चौड़ाई 77 सेंटीमीटर होनी चाहिए और पांच सेंटीमीटर फुलाव के बाद 82 सेंटीमीटर। कुछ के सीने की माप कम है तो कुछ का फुलाव कम है। दौड़ में क्वालिफाई करने वाले अधिकांश अभ्यर्थी बीम और जंप में तो बाहर हो गए। सीने की माप और ऊंचाई में इनमें से बहुतों को निराशा का सामना करना पड़ा। 

सेना भर्ती निदेशक कर्नल कुलदीप कुमार कहते हैं कि सेना को पूरी तरह फिट नौजवानों की जरूरत होती है। इसके लिए शारीरिक दक्षता और मेडिकल जांच पूरी गहनता से होती है। यह वाकई चौंकाने वाली बात है कि जितनी बड़ी संख्या में आवेदन हुए उनके मुकाबले फिटनेस मानक पास करने वालों की  संख्या बेहद कम है। 

युवाओं को जकड़ रहीं यह बीमारियां 
हड्डियों की बीमारियां, फ्लैट फुट, खराब दांत, कान के पर्दे में छेद और कम लंबाई भी सेना भर्ती की राह में रोड़ा हैं। मेडिकल जांच में कुछ नौजवानों के कान के पर्दे में छेद मिले हैं तो काफी के दांत टेड़े-मेढे और टूटे हुए पाए गए। कुछ के नाक की हड्डी भी बढ़ी पाई गई। मेडिकल प्रक्रिया के दौरान जो भी युवा अनफिट मिल रहे है उन्हें फिट करने के लिए 42 दिन का समय दिया जाता है। यदि 42 दिन बाद भी युवा फिट नहीं होता है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। 

कैंसर से जूझते गांवों में अब युवाओं पर अटैक 
अंग्रेजों के जमाने से ही वेस्ट यूपी का जवान और किसान सेहत के मामले में अव्वल माना जाता रहा है। हिंडन, काली जैसी छोटी नदियों से लेकर भूगर्भ तक का पानी बेहद प्रदूषित हो चला है। मेरठ-सहारनपुर मंडल का शायद ही कोई गांव ऐसा है जहां बुजुर्ग किसानों की कैंसर से मौत न हो रही हों। हालात इतने भयावह हैं कि एनजीटी गांवों में बोतलबंद पानी के इंतजाम का आदेश दे चुका है। अभी तक यहां बीमारियां 40 पार के लोगों पर ही ज्यादा हमलावर थीं पर अब सत्रह से 23 साल के युवाओं पर भी अटैक हो रहा है। 

हवा-पानी और भोजन में घुलता जहर बना मुसीबत 
इकोसिस्टम में आ रहे बदलाव का असर मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ना लाजिमी है। हवा, पानी और मिट्टी में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इस वजह से खाद्य पदार्थों की पोषण वेल्यू भी प्रभावित हो रही है। अब पोषण कमजोर हो तो शरीर में मसल्स डेवलप नहीं हो पातीं। आमतौर पर लोग इन चुनौतियों के प्रति जागरुक भी नहीं होते। नियमित व्यायाम, बेहतर खानपान जरूरी है। नियमित चेकअप कराना चाहिए। जंक फूड, नशा, खाने में प्रोटीन की कमी जैसे फैक्टर की वजह से बच्चे की लंबाई, वजन और अंगों के विकास पर बुरा असर पड़ता है। पीने के पानी में जहरीले तत्वों के समावेश की वजह से हड़्डियों की विकृतियां आ जाती हैं और दांत खराब हो जाते हैं। 

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