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विकास को लेकर कैसे रहे मोदी सरकार के 9 साल? क्या कहता है रिपोर्ट कार्ड

देश में विकास और लोगों के जीवन में सुधार को लेकर पीएम मोदी के काम को अच्छा बताया जा रहा है। हालांकि, बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि को लेकर जनता का रुख सरकार के प्रति चिंताजनक है।

 विकास को लेकर कैसे रहे मोदी सरकार के 9 साल? क्या कहता है रिपोर्ट कार्ड
Himanshu Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 24 May 2023 10:15 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार के 9 साल पूरे होने वाले हैं। देश में विकास और लोगों के जीवन में सुधार को लेकर पीएम मोदी के काम को अच्छा बताया जा रहा है। हालांकि, बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि को लेकर जनता का रुख सरकार के प्रति चिंताजनक है। हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक 47 प्रतिशत लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं। एनडीटीवी और सीएसडीएस के साझा सर्वे में जनता का नया मिजाज उभर कर आया हुआ है।

क्या कहता है 9 साल का रिपोर्ट कार्ड?

पीएम मोदी इस महीने सत्ता में नौ साल पूरे कर रहे हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव सहित कई चुनावों की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में जनता का मूड क्या है इसके लिए कर्नाटक चुनाव के ठीक बाद 10 से 19 मई के बीच 19 राज्यों में सर्वे आयोजित किया गया। सर्वेक्षण के कम से कम 47 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार के विकास कार्यों को बेहतर बताया है।

सर्वे के मुताबिक, सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अन्य क्षेत्रों में आक्रामक रूप से काम कर रही है, जिसमें भारी पूंजी व्यय की आवश्यकता होती है। पिछले नौ सालों में राज्य की सड़कों, राजमार्गों, सार्वजनिक सुविधाओं और एक्सप्रेस-वे में अत्यधिक सुधार हुआ है।

कहां हो रही है चूक?

हालांकि, बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि पर सरकार के प्रति लोगों ने चिंता जताई। इसे कोविड-19 महामारी से जोड़ते हुए देखा जा सकता है। कोरोना वायरस पैनडेमिक के चलते न केवल भारत, बल्कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं पर भी गहरी मार पड़ी। महामारी ने कई कंपनियों की रीढ़ तोड़ डाली, जिससे नौकरी में कटौती हुई। इसके बावजूद भारत ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है।  

सरकार से हुई मुफ्त बिजली पानी की डिमांड

सर्वेक्षण के कम से कम 35 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पिछले चार सालों में उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। जबकि 22 फीसदी लोगों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। आर्थिक स्तर पर इसका एक संभावित कारण महामारी के दौरान लोगों को होने वाला नुकसान हो सकता है। आधे से अधिक लोगों ने मुफ्त बिजली और पानी की डिमांड की है। जबकि 57 प्रतिशत ने कहा कि ऐसी लोकलुभावन नीतियां गरीबों को लाभ पहुंचाती हैं।

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