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चार साल में आठ गुना बढ़ी 6 नए एम्स में सर्जरी, ओपीडी की संख्या में ढाई गुना इजाफा

देश में स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए वर्ष 2012 में शुरू किए गए दूसरी पीढ़ी के छह एम्स रफ्तार पकड़ते नजर आ रहे हैं। पिछले चार वर्षों में इन एम्स ने ओपीडी, आईपीडी, माइनर सर्जरी और मेजर...

चार साल में आठ गुना बढ़ी 6 नए एम्स में सर्जरी, ओपीडी की संख्या में ढाई गुना इजाफा
स्कन्द विवेक धर,नई दिल्लीMon, 14 Oct 2019 01:28 PM
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देश में स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए वर्ष 2012 में शुरू किए गए दूसरी पीढ़ी के छह एम्स रफ्तार पकड़ते नजर आ रहे हैं। पिछले चार वर्षों में इन एम्स ने ओपीडी, आईपीडी, माइनर सर्जरी और मेजर सर्जरी चारों क्षेत्रों में कई गुना की बढ़त दर्ज की है। हालांकि, इन छह एम्स के प्रदर्शन की तुलना करें तो ऋषिकेश और भुवनेश्वर एम्स जहां बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं पटना और रायपुर एम्स साफ तौर पर पिछड़ते नजर आते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय से मिले नवीनतम आंकड़ों से यह तस्वीर सामने आई है।

अगस्त 2015 में दूसरी पीढ़ी के सभी छह एम्स में मिला कर रोजाना औसतन 4950 ओपीडी (बाह्य रोग विभाग) के मरीज आते थे, अगस्त 2019 में यह संख्या करीब ढाई गुना बढ़कर 12 हजार रोजाना पर पहुंच गई। सबसे ज्यादा 3745 ओपीडी मरीज भुवनेश्वर एम्स पहुंचे, जबकि सबसे कम 1896 मरीज रायपुर एम्स में दर्ज किए गए।

इसी तरह, अगस्त 2015 में नए एम्स में आईपीडी (आंतरिक रोग विभाग) के मात्र 1940 मरीज पहुंचे थे, लेकिन अगस्त 2019 में यह संख्या पांच गुना से भी अधिक बढ़कर 11 हजार एक सौ पर पहुंच गई। सबसे ज्यादा 4715 और 4506 मरीज क्रमश: जोधपुर व ऋषिकेश एम्स में भर्ती हुए। वहीं, सबसे कम 1543 और 1676 मरीज क्रमश: भोपाल और पटना एम्स में भर्ती हुए।

सर्जरी की बात करें तो ऋषिकेश एम्स किसी भी दूसरी पीढ़ी के एम्स से कहीं आगे है। इसमें बीते अगस्त महीने में यहां 2720 सर्जरी की गईं। इसमें 1247 माइनर सर्जरी और 1473 मेजर सर्जरी शामिल हैं। वहीं, इस दौरान पटना एम्स में कुल 650 सर्जरी की गईं। इसमें भी मेजर सर्जरी की संख्या मात्र 138 है।

सुपर स्पेशलिटी के मामले में पीछे
पूरी तरह तैयार होने के बाद भी सुपर स्पेशलिटी के मामले में दूसरी पीढ़ी के एम्स अब भी तैयार नहीं हैं। ऋषिकेश एम्स के अलावा किसी अन्य एम्स में पूर्व निर्धारित 17 सुपर स्पेशलिटी का लक्ष्य अब तक हासिल नहीं किया है। रायुपर एम्स में 17 में सिर्फ 10 सुपर स्पेशलिटी विभाग शुरू किए जा सके हैं। वहीं, भोपाल में 11, पटना में 13 सुपर स्पेशलिटी विभाग काम कर रहे हैं। 

गलतियों से लिया सबक
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि अच्छी लीडरशिप के अभाव में पटना और रायपुर समेत दूसरी पीढ़ी के कुछ एम्स वास्तव में पीछे रह गए हैं। जबकि कुछ अन्य एम्स अच्छा काम कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि इन गलतियों से सबक लेते हुए हमने अब फैसला किया है कि किसी भी नए एम्स को बनाने की जिम्मेदारी दिल्ली एम्स के ही किसी प्रोफेसर को दी जाए, जिससे कि वह नए एम्स में भी उसी तरह की कार्य संस्कृति विकसित कर सके जैसी कि दिल्ली एम्स में है।

किस एम्स का कैसा प्रदर्शन

एम्स     ओपीडी   आईपीडी   सर्जरी

भोपाल    2014     1543    1197

भुवनेश्वर   3745    2188     1021

जोधपुर    3102    4715      991

पटना     2668    1676       650

रायपुर    1896     2047     1071

ऋषिकेश  3255    4506     2720

नोट: ओपीडी अगस्त माह की रोजाना औसत, आईपीडी और सर्जरी के आंकड़ अगस्त माह के

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