Hindi Newsदेश न्यूज़57 Jammu and Kashmir youths who went to Pakistan in 2017 - 18 became terrorist says DGP Dilbagh Singh - India Hindi News

वीजा पर पढ़ने गए पाकिस्तान, आतंकी बनकर लौटे हिन्दुस्तान, 57 कश्मीरी यूथ को लेकर DGP का चौंकाने वाला खुलासा

जम्मू-कश्मीर के कुछ यूथ किस तरह पाकिस्तान में पढ़ाई के नाम पर आतंकवाद का हाथ थाम लेते हैं और खूंखार आतंकी बनकर घाटी में अशांति फैलाने की फिराक में रहते हैं, उसे लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।...

Shankar Pandit हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीWed, 11 Aug 2021 03:32 AM
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जम्मू-कश्मीर के कुछ यूथ किस तरह पाकिस्तान में पढ़ाई के नाम पर आतंकवाद का हाथ थाम लेते हैं और खूंखार आतंकी बनकर घाटी में अशांति फैलाने की फिराक में रहते हैं, उसे लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के कम से कम 57 युवा, जो 2017 और 2018 में या तो टूरिस्ट वीजा या स्टडी वीजा पर पाकिस्तान गए थे, आतंकी बन गए। इतना ही नहीं, इनमें से कुछ आतंकी बनकर हथियारों के साथ कश्मीर भी लौटे हैं। 

राजौरी में पत्रकारों से बात करते हुए दिलबाग सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के कई युवा वैध दस्तावेजों पर 2017 और 2018 में पाकिस्तान गए थे। उन्होंने कहा कि हमारी जानकारी में 57 मामले आए हैं, जो लोग अध्ययन के लिए या पर्यटक के रूप में सीमा पार गए और किसी न किसी आतंकी गतिविधि में शामिल हो गए। डीजीपी ने कहा कि उनमें से 30 अवैध रूप से हथियारों के साथ एलओसी पार करने के बाद आतंकवादी के रूप में कश्मीर लौट आए। उन्होंने कहा कि 30 में से 17 मारे गए हैं जबकि 13 आतंकवादी अभी भी कश्मीर में सक्रिय हैं और सुरक्षा बल उन पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि  उनमें से 17 अभी भी पाकिस्तान में है। सिंह ने कहा कि यही कारण है कि हाल के दिनों में अधिकारियों ने कश्मीरी छात्रों को पढ़ाई के लिए पाकिस्तान जाने की मंजूरी देने में सख्ती की है।

स्थानीय युवकों के विद्यार्थी या पर्यटक वीजा पर पाकिस्तान जाने और आतंकवादी बन जाने पर चिंता प्रकट करते हुए पुलिस प्रमुख ने कहा कि मैं समझता हूं कि पाकिस्तान में कलमों पर बंदूकों को तरजीह दी जाती है और पाकिस्तानी वीजा को सुरक्षा अनापत्ति देने में संबंधित उपायों को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'यही सख्ती का कारण रहा है क्योंकि युवा यहां से पढ़ाई के लिए जाते हैं, लेकिन आतंकवादी बनकर लौटते हैं। मुझे नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर के छात्र किस स्थिति और परिस्थितियों में पाकिस्तान में रहते हैं, लेकिन अगर वे आतंकवादी के रूप में लौटते हैं तो यह स्पष्ट है कि आपको सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करके सख्त होना होगा।

इसके अलावा, जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा कि फरवरी में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की बहाली के बाद घुसपैठ के करीब करीब थमने के बाद अब आतंकवादियों को सीमा पार धकेलने की कोशिश चल रही है तथा 250 से 300 आतंकवादी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इस पार आने के लिए वहां शिविरों में मौके की बाट जोह रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, 'पाकिस्तान की आईएसआई एवं अन्य एजेंसियों द्वारा चलाये जा रहे प्रशिक्षिण शिविरों एवं लांच पैड अपनी क्षमता के हिसाब से अटे पड़े हैं। मोटे तौर पर हमारा आकलन है कि ऐसे शिविरों में 250 से 300 आतंकवादी हैं जिन्हें प्रशिक्षण मिल चुका है और वे जम्मू कश्मीर में घुसने के लिए तैयार बैठे हैं।'

उन्होंने कहा कि 20 फरवरी को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति होने के बाद ऐसा वक्त आया जब सीमापार घुसपैठ एवं सीमापार गोलाबारी एवं गोलीबारी थम सी गयी थी और उसका सीमावर्ती क्षेत्रों के बाशिंदों समेत सभी स्तर पर स्वागत किया गया था। पुलिस प्रमुख ने कहा, 'दुर्भाग्य से, पिछले कुछ महीनों से विभिन्न लांच पैडों से (आतंकवादियों की) घुसपैठ फिर होने लगी है । राजौरी पुंछ में हमारे सम्मुख तीन मुठभेडें हुईं , एक नौशेरा के दादल में, दूसरी पंगाई (थनमंडी) और तीसरी बांदीपुरा में। ये सारी मुठभेड़ें घुसैपैठियों के नये समूहों के साथ हुईं और हमारे पास जानकारी है कि सीमा के उस पार गतिविधि अभी चल ही रही है एवं (भविष्य में) और ऐसे प्रयासों की संभावना है।'

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