25 मुख्य न्यायाधीश और जज वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि से नवाजे गए
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 25 मुख्य न्यायाधीशों और जजों को वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि से नवाजा है। वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद ये जज रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रैक्टिस कर सकेंगे। उपाधि...
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 25 मुख्य न्यायाधीशों और जजों को वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि से नवाजा है। वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद ये जज रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रैक्टिस कर सकेंगे।
उपाधि पाने वालों में इलाहाबाद के अनिल अंबावता, एसयू खां (अयोध्या मामले में फैसला देने वाले), सत्यपूत मेहरोत्रा, विमलेश कुमार शुक्ला और प्रत्यूष कुमार है। वहीं पटना हाईकोर्ट से घनश्याम प्रसाद और एक जज दिल्ली से हैं। सुप्रीम कोर्ट की पिछले हफ्ते हुई फुल कोर्ट र्मींटग में इन जजों को वरिष्ठ वकील बनाने का फैसला लिया गया। इन जजों का नाम सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील नामित करने की कमेटी को नहीं भेजा गया। सर्वोच्च न्यायालय ने गत माह इंदिरा जर्यंसह मामले में दिए एक फैसले में वरिष्ठ वकील नामित करने के लिए दिशा निर्देश तैयार किए थे। इन निर्देशों के तहत ही वरिष्ठ वकील नामांकन कमेटी बनाई गई है। लेकिन जजों के मामले में इस कमेटी को बाईपास कर उनके नाम सीधे फुल कोर्ट के समक्ष रखे गए।
सुप्रीम कोर्ट के उप रजिस्ट्रार राकेश शर्मा ने बताया, पिछले हफ्ते फुल कोर्ट ने इन नामों पर विचार किया व उन्हें वरिष्ठ वकील की उपाधि दी। अब ये वकील के रूप सुप्रीम कोर्ट में पेश हो अन्य कानूनी सेवाएं दे सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट में करीब 200 हाईकोर्ट के रिटायर जज हैं जो वकील के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं।
अपनी कोर्ट में वकालत नहीं कर सकते
रिटायर होने के बाद हाईकोर्ट जज हाईकोर्ट में वकालत नहीं कर सकते। इसी तरह जिला अदालत से सेवानिवृत होने वाले न्यायिक अधिकारी जिला अदालतों में पेश नहीं हो सकते। वे अपनी कोर्ट से उच्च अदालतों, क्रमश: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में ही प्रैक्टिस जर सकते हैं।
वकीलों के लिए सख्त नियम
वकीलों को वरिष्ठता देने के मानक सख्त हैं। इसके लिए वकील की अच्छी प्रैक्टिस होनी चाहिए। संवैधानिक मामलों में फैसले उनके नाम से होने चाहिए जिसमें उन्होंने अग्रणी वकील की हैसियत से बहस की हो। जनहित के मामलों में फ्री सेवा की हो। पेशेवर नैतिकता पर दाग न हो। इससे पहले सीनियर बनने के लिए वकील को बायोडाटा बनाकर, यदि वह हाईकोर्ट में हैं तो हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से हैं तो सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों व बार एसोसिएशन से सिफारिश करवाता था। पर इसमें पक्षपात के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील इंदिरा जर्यंसह ने याचिका दायर की। इस याचिका के आधार पर नामांकन कमेटी बनाई गई।