निर्भया के दोषी विनय की फांसी का रास्ता साफ, SC ने याचिका खारिज कर सारे रास्ते किए बंद
सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण...
सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और ए. एस. बोपन्ना के साथ न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ इस पर फैसला सुनाया है। विनय की याचिका खारिज होने के बाद अब उसके पास फांसी की सजा टालने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस आर भानुमति बेहोश हो गईं। इसके बाद उन्हें फौरन चैंबर में ले जाया गया।
दोषी विनय शर्मा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिये दावा किया था कि उसके मुवक्किल की जेल में यातना के कारण दिमागी हालत खराब हो गई है। याचिका में मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का कोर्ट से अनुरोध किया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विनय मनोवैज्ञानिक रूप से फिट है और उसकी मेडिकल स्थिति स्थिर है।
Supreme Court also said in its order, that the medical reports said that Vinay is psychologically fit and his medical condition is stable.
— ANI (@ANI) February 14, 2020
The Apex Court dismissed his petition, finding it devoid of merit. https://t.co/uQEv1iM9OL
वहीं दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को निर्भया दुष्कर्म मामले में डेथ वारंट जारी करने की याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी। अदालत ने माना कि दोषी अपने कानूनी उपायों को उपयोग करने के हकदार हैं और उनके मौलिक अधिकारों की अनदेखी नहीं की सकती।
इससे अलावा अदालत ने गुरुवार को निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में अधिवक्ता रवि काजी को दोषियों में से एक पवन गुप्ता की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया था। चारों दोषियों में से सिर्फ पवन के पास ही सुधारात्मक और दया याचिका का विकल्प है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा, “मैं समझता हूं कि पवन के कानूनी वकील को भी थोड़ा समय मिलना चाहिए, ताकि वह मुवक्किल का प्रभावी प्रतिनिधित्व कर सकें और दोषी को कानूनी सहायता महज दिखावा या सतही कार्रवाई जैसी नहीं लगे।”
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक नाबालिग भी शामिल था। इस मामले में नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। जबकि एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में चार आरोपियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।