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सवर्ण आरक्षण पर बोली बीजेपी-इस बार प्रयास विफल नहीं होगा

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस बार सामान्य वर्ग के लिए लाया गया 10 फीसदी आरक्षण का कानून विफल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी केंद्र और कई राज्य सरकारों ने...

सवर्ण आरक्षण पर बोली बीजेपी-इस बार प्रयास विफल नहीं होगा
नई दिल्ली। विशेष संवाददाताTue, 08 Jan 2019 09:54 PM
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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस बार सामान्य वर्ग के लिए लाया गया 10 फीसदी आरक्षण का कानून विफल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी केंद्र और कई राज्य सरकारों ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का का प्रयास किया था, पर वह इसलिए विफल हो गए क्योंकि इसके लिए संविधान में संशोधन नहीं किया गया था।

लोकसभा में 124वें संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के लोगों को दस फीसदी आरक्षण देने जा रही है। उन्होंने कहा कि संविधान के 124वें संशोधन में शब्द कम है, पर इसका लाभ बहुत बड़े वर्ग को मिलने वाला है। वह मानते हैं कि सामान्य वर्ग को आरक्षण के कानून के खिलाफ कोई व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटाएगा, तो न्यायालय उसकी बात को अस्वीकार कर देगी।

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गहलोत ने कहा कि देश के सभी हिस्सों से लंबे वक्त से सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण की मांग उठती रही है।  पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार ने भी इस दिशा में प्रयास किए थे। कई आयोगों ने भी सामान्य वर्ग के गरीबों को दस फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी। सरकार सामान्य वर्ग के लिए कुछ योजनाएं शुरू की थी, पर वह काफी नहीं थी। इसलिए, दस फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है।

संविधान संशोधन के बारे में बताते हुए थावरचंद गहलोत ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की नौकरियों के साथ सामान्य वर्ग के गरीबों को निजी शिक्षण संस्थाओं में दस फीसदी आरक्षण मिलेगा। साथ ही उन्होंने साफ किया कि एससी/एसटी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण में कोई छेडछाड़ नहीं होगा। यह आरक्षण उसके अतिरिक्त होगा।

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संविधान संशोधन विधेयक पर बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सांसद केवी थॉमस ने इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को फैसला किया और मंगलवार को संविधान संशोधन पारित कराने के लिए पेश कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने संविधान संशोधन के प्रावधानों को पढ़ने के लिए भी वक्त नहीं दिया है। उन्होंने इसे संसद पर दबाव की कोशिश करार देते हुए नाराजगी जताई।

थॉंमस ने कहा कि सरकार के पास सिर्फ तीन माह का वक्त है। ऐसे में यह सवाल जरूरी है कि सरकार ने आखिरी वक्त में यह निर्णय क्यों लिया। पिछले दिनों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। क्या यह उस हार का नतीजा है। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्दबाजी में फैसला नहीं करना चाहिए था। कांग्रेस ने इस संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि एक माह की समय सीमा के साथ इसे जेपीसी को भेजना चाहिए, ताकि इस पर और विचार किया जा सके।

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