अभी तक नहीं मिली है सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ऑर्डर की कॉपी; पत्नी का दावा
संक्षेप: CBI द्वारा FCRA उल्लंघन के आरोपों की जांच पर आंगमो ने कहा, “विदेशी विश्वविद्यालयों से सहयोग कोई अपराध नहीं है। यह सेवाओं का निर्यात है। हमारे पास सभी कानूनी समझौते हैं और CBI को सौंप दिए गए हैं। उन्होंने भी माना कि इसमें कुछ गलत नहीं है।”

सोनम वांगचुक की पत्नी गीातांजलि आंगमो ने मंगलवार को कहा कि उन्हें दिल्ली आना पड़ा ताकि वे अपनी बात देश के सामने रख सकें, क्योंकि लेह में मीडिया से बात करने की उनकी कोशिशें रोकी जा रही हैं। वांगचुक को शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लेकर जोधपुर जेल भेजा गया था। उनकी गिरफ्तारी से पहले लेह में हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हुए।
आंगमो ने बताया कि लेह में कर्फ्यू लगा है और इंटरनेट बंद है। उन्होंने कहा, “न तो हम काम कर पा रहे हैं, न ही मीडिया के सामने अपनी बात रख पा रहे हैं। मीडियाकर्मियों को हमारे संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) में प्रवेश तक नहीं दिया जा रहा। जब कुछ पत्रकार आए तो सीआरपीएफ के जवान उनके पीछे-पीछे कैंपस तक पहुंच गए। हालात दमनकारी होते जा रहे हैं।”
नहीं दी गई हिरासत आदेश की प्रति
आंगमो ने दावा किया कि अब तक उन्हें वांगचुक की हिरासत आदेश की कॉपी नहीं दी गई है और स्थानीय अधिकारी फोन कॉल तक रिसीव नहीं कर रहे। उन्होंने कहा, “न तो मुझे उनसे (वांगचुक) बात करने दी गई और न ही आदेश दिखाया गया। मुझे केवल इतना पता है कि वे जोधपुर सेंट्रल जेल में हैं। मगर उनकी स्थिति क्या है, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल एकतरफा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है और विपक्षी आवाज़ों को दबा रही है। आंगमो ने कहा, “यह किसी लोकतंत्र का तरीका नहीं हो सकता। हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार होना चाहिए। अभी सरकार पूरी मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है, इंटरनेट बंद है और हमें मीडिया तक पहुंच से रोका जा रहा है।”
CRPF फायरिंग से भड़के हालात
वांगचुक पर युवाओं को भड़काने के आरोपों को आंगमो ने झुठला दिया। उन्होंने कहा, “वांगचुक पांच साल से शांतिपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं। असल में हालात CRPF की गोलीबारी से बिगड़े। सरकार को बताना होगा कि उन्हें गोली चलाने का अधिकार किसने दिया।”
CBI द्वारा FCRA उल्लंघन के आरोपों की जांच पर आंगमो ने कहा, “विदेशी विश्वविद्यालयों से सहयोग कोई अपराध नहीं है। यह सेवाओं का निर्यात है। हमारे पास सभी कानूनी समझौते हैं और CBI को सौंप दिए गए हैं। उन्होंने भी माना कि इसमें कुछ गलत नहीं है।”





