
सिंगापुर भी पता लगाएगा जुबिन गर्ग की मौत की असली वजह, शुरू हो गई 'कोरोनर' जांच
संक्षेप: जुबिन गर्ग की मौत मामले में सिंगापुर प्रशासन ने कोरनर इन्वेस्टिगेशन शुरू किया है। संदिग्ध परिस्थितियों में किसी की मौत हो जाने के बाद कारण का पता लगाने के लिए यह जांच की जाती है।
संदिग्ध परिस्थितियों में भारत के लोकप्रिय गायक जुबिन गर्ग की मौत के मामले में सिंगापुर प्रशासन ने जांच शुरू की है। जानकारी के मुताबिक साजिश समेत हर ऐंगल से उनकी मौत की जांच की जाएगी। इसे 'कोरोनर जांच' कहते हैं। इस तरह की जांच तब की जाती है जब संदिग्ध परिस्थितियों में किसी की मौत हो जाती है।

बता दें कि 52 साल के जुबिन गर्ग पूर्वोत्तर के सांस्कृतिक ब्रैंड ऐंबेसडर थे। वह सिंगापुर में इंडिया फेस्टिवल के लिए गए थे। 19 सितंबर को वह याच आउटिंग पर निकले थे। असम असोसिएशन सिंगापुर के सदस्यों का कहना है कि वह समंदर में ही बेहोश हो गए और उनकी डूबकर मौत हो गई। सिंगापुर जनरल अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वहीं मृत प्रमाणपत्र में कहा गया कि डूबने की वजह से उनकी मौत हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गर्ग का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने वाले डॉक्टर ने ही कहा है कि सिंगापुर में इस मामले को कोरोनर केस बना दिया गया है। सिंगापुर के अटॉर्नी जनरल चैंबर के मुताबिक यह एक तथ्य ढूंढने की प्रक्रिया है। कोरोनर ऐक्ट के मुताबिक ही जांच की जाती है। अगर सिंगापुर में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होती है तो उसकी वजह का पता लगाने के लिए यह जांच की जाती है। साथ ही आसपास के संदिग्धों से भी पूछताछ की जाती है और आपराधिक ऐंगल से भी जांच की जाती है।
कोरोनर एक न्यायिक अधिकारी होता है। पुलिस जांच करने के बाद कोरोनर के सामने रिपोर्ट पेश करती है। वहीं बात करें भारत की तो गर्ग की मौत के मामले में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इस सिलसिले में शुक्रवार को उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) को गिरफ्तार किया गया। इसी के साथ जुबिन की मौत से जुड़े मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या सात हो गई है।
एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की ओर से जुबिन की सुरक्षा में तैनात नंदेश्वर बोरा और परेश बैश्य को असम पुलिस ने कई दौर की पूछताछ के बाद मंगलवार को निलंबित कर दिया। अधिकारी के मुताबिक, नंदेश्वर और परेश के बैंक खातों के माध्यम से 1.1 करोड़ रुपये से अधिक राशि का लेनदेन किया गया, जिससे संदेह पैदा हुआ। उन्होंने बताया कि दोनों को गुवाहाटी की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें पांच दिन के लिए सीआईडी की हिरासत में भेज दिया।
जुबिन की पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग ने बृहस्पतिवार को कहा था कि उनके पति ने अपने दो पीएसओ को सामाजिक कार्य के लिए कुछ पैसे दिए थे। गिरफ्तार पीएसओ नंदेश्वर और परेश लंबे समय से जुबिन के साथ थे। जुबिन को लगभग एक दशक पहले प्रतिबंधित उग्रवादी समूह उल्फा से हत्या की धमकी मिली थी, जिसके बाद असम पुलिस ने उन्हें गायक की सुरक्षा में तैनात किया था।
इससे पहले, ‘नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल’ के आयोजक श्यामकानु महंत, जुबिन के चचेरे भाई संदीपन गर्ग, उनके प्रबंधक सिद्धार्थ शर्मा, संगीतकार शेखरज्योति गोस्वामी और गायक अमृतप्रभा महंत को मामले में गिरफ्तार किया गया था। असम पुलिस सेवा के अधिकारी संदीपन को मामले में गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया गया था। असम पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के तहत एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गायक की मौत से जुड़े मामले की जांच कर रहा है।





