40 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय बनेंगे शुभांशु शुक्ला, कैसी है उनकी स्पेस की तैयारी
- भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। भारत की यह ऐतिहासिक यात्रा 2025 में होगी। Axiom-4(ax-4) मिशन को शुभांशु शुक्ला पायलट करेंगे। यह भारत और अमेरिका का संयुक्त मिशन होगा।
40 सालों के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने के लिए तैयार है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले भारत की तरफ से राकेश शर्मा सोवियत संघ के सहयोग से अंतरिक्ष यात्रा के लिए गए थे। भारत के लिए यह ऐतिहासिक यात्रा 2025 में होगी। Axiom-4(ax-4) मिशन का संचालन शुभांशु शुक्ला करेंगे। शुक्ला भारत के गगनयान मिशन का भी अहम हिस्सा है और इसरो ने अपने मिशन की तैयारी को आगे बढ़ाने के लिए शुभांशु शुक्ला और उनके बैकअप के तौर पर प्रशांत नायर को इस मिशन के लिए चुना है। यह भारत और अमेरिका का संयुक्त मिशन होगा।
टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस मिशन पर पायलट के रूप में लखनऊ से आने वाले शुभांशु शुक्ला को नेविगेशन और डॉकिंग प्रक्रियाओं सहित जरूरी स्पेसक्राफ्ट संचालन करने के लिए ट्रेन किया रहा है। एक्सिओम स्पेस के कमांडर पैगी व्हिटसन के अनुसार, शुक्ला अभी माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक रूप से प्रयोगों को कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह ट्रेनिंग उन्हें आपात स्थिति से निपटने और महत्वपूर्ण सिस्टम की जांच करने के लिए तैयार करेगी। यह ट्रेनिंग शुक्ला को मजबूत बनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि शुक्ला मिशन की सफलता में अपना योगदान देने के लिए पूरे तरीके से तैयार है। इस मिशन पर शुक्ला 5 प्रयोग करेंगे जो उन्हें अनुभव और डाटा देने में मदद करेंगे। क्योंकि भारत उनके इस अनुभव का इस्तेमाल करके अपने गगनयान मिशन की तैयारी और पुख्ता कर पाएगा।
बहुत कठिन होता है स्पेस यात्रियों का प्रशिक्षण
अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों के लिए ट्रेनिंग काफी कठिन होती है। शुक्ला के इस मिशन में जाने वाले यात्रियों की ट्रेनिंग में नासा, यूरोपीय अतरिक्ष एजेंसी और अन्य संस्थाओं ने भी अपना योगदान दिया है। शुक्ला और उनके बैकअप साथी प्रशांत नायर, सारे प्रोटोकॉल्स का ध्यान रखते हुए के बेहतर ट्रेनिंग से गुजरेंगे। इस दौरान वह मिशन के दौरान आने वाली किसी भी आपात स्थिति से भी निपटने का भी अभ्यास करेंगे।
मस्क की कंपनी के रॉकेट का उपयोग करेगा एक्स-4 मिशन
इस मिशन के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कल 9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल का उपयोग किया जाएगा। क्योंकि यह अपनी काबिलियत पर बार-बार खरा उतरा है। यही कैप्सूल अंतरिक्ष में फंसे दो अंतरिक्षयात्रियों सुनीता विलिसयम्स और बुच विल्मोर को भी वापस लाने का काम कर रहा है।
शुभांशु शुक्ला की टीम में अमेरिका, पौलेंड और हंगरी के अंतरिक्ष विशेषज्ञ शामिल है। इस मिशन के सदस्य इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 14 दिन बिताएंगे। इसके साथ ही यह भारत, पोलेंड और हंगरी के निवासियों को वापस धरती पर लेकर आएगा। यह मिशन न केवल प्रत्येक देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का काम करता है बल्कि इसका उद्देश्य अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना भी है। भारत अपने गगनयान मिशन के लिए उत्सुक है और इस मिशन में भारत के गगनयान मिशन के दो यात्रियों का ट्रेनिंग लेना एक अच्छी बात है।
इस मिशन का उद्देश्य भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए रास्ते के लिए तैयार करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस मिशन की घोषणा की गई थी। इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अमेरिकी कंपनी एक्सिओम स्पेस के साथ एक करार किया था, जिसके तहत यह अंतरिक्ष उड़ान होगी। भारत और अमेरिका के बीच यह साझेदारी न केवल भारत और अमेरिका के मजबूत होते संबंधों को दर्शाती है बल्कि भारत के अंतरिक्ष में बढ़ते प्रयासों को भी दिखाती है।
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