
बिहार चुनाव के बीच शशि थरूर ने अलापा नया राग, कांग्रेस को हो सकती है मुश्किल; जानें क्या कहा?
संक्षेप: बिहार चुनाव के बीच वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने वंशवाद का राग अलापना शुरू कर दिया है। थरूर ने वंशवादी राजनीति को भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत वंशवाद की जगह योग्यता को अपनाए।
बिहार चुनाव के बीच वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने वंशवाद का राग अलापना शुरू कर दिया है। थरूर ने वंशवादी राजनीति को भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत वंशवाद की जगह योग्यता को अपनाए। उन्होंने कहा कि जब राजनीतिक सत्ता का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी स्तर पर जुड़ाव के बजाय वंशवाद से होता है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

थरूर के इस बयान को बिहार में लालू और तेजस्वी से जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें कि तेजस्वी महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस ने इस पर कोई ऐतराज नहीं जताया है। लेकिन थरूर के बयान के बाद इस पर बहस छिड़नी तय है और कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है। शशि थरूर ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ‘प्रोजेक्ट सिंडिकेट’ के लिए एक लेख लिखा है। इसमें तिरुवनंतपुरम के सांसद ने बताया कि नेहरू-गांधी परिवार कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। लेकिन राजनीतिक परिदृश्य में वंशवाद का बोलबाला है।
पहली बार नहीं पार्टी लाइन के खिलाफ
यह पहली बार नहीं है जब थरूर ने कांग्रेस की पार्टी लाइन से अलग बयान दिया है। इससे पहले उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष और पहलगाम हमले के बाद राजनयिक प्रयासों पर टिप्पणियां की थीं। इन टिप्पणियों पर भी विवाद हुआ था। उस समय उनकी टिप्पणियां कांग्रेस के रुख से अलग थीं और कई पार्टी नेताओं ने उनकी मंशा पर सवाल उठाते हुए उन पर निशाना साधा था।
लेख में क्या लिखा
‘इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फैमिली बिजनेस’ शीर्षक वाले लेख में थरूर ने कहा कि दशकों से एक परिवार भारतीय राजनीति पर हावी रहा है। नेहरू-गांधी परिवार का प्रभाव भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा हुआ है। उनका कहना था, लेकिन यह विचार पुख्ता हुआ है कि राजनीतिक नेतृत्व एक जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है। यह विचार भारतीय राजनीति में हर पार्टी, हर क्षेत्र और हर स्तर पर व्याप्त है।’
अखिलेश यादव का भी उदाहरण
थरूर ने कहा कि बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके बेटे नवीन ने अपने पिता की खाली लोकसभा सीट जीती। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने यह पद अपने बेटे उद्धव को सौंप दिया और अब उद्धव के बेटे आदित्य भी प्रतीक्षारत हैं। थरूर ने राजनीतिक वंशवाद के और उदाहरण देते हुए कहा कि यही बात समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर भी लागू होती है, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और जिनके बेटे अखिलेश यादव बाद में उसी पद पर रहे। अखिलेश अब सांसद और पार्टी के अध्यक्ष हैं। बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के बाद उनके बेटे चिराग पासवान ने पार्टी की कमान संभाली।
भारतीय उपमहाद्वीप पर भी निशाना
थरूर ने जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, पंजाब और तमिलनाडु में भी वंशवादी राजनीति की मिसालें दीं। थरूर ने यह भी तर्क दिया कि यह (वंशवादी राजनीति) केवल कुछ प्रमुख परिवारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्राम सभाओं से लेकर संसद तक, भारतीय शासन के ताने-बाने में गहराई से समाई हुई है। उन्होंने पाकिस्तान में भुट्टो और शरीफ परिवार, बांग्लादेश में शेख और ज़िया परिवार तथा श्रीलंका में भंडारनायके और राजपक्षे परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि सच कहूं तो, इस तरह की वंशवादी राजनीति पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है।
भारतीय लोकतंत्र के साथ बेमेल
थरूर के मुताबिक यह भारत के जीवंत लोकतंत्र के साथ खास तौर पर बेमेल लगते हैं। फिर भारत ने वंशवादी मॉडल को इतनी पूरी तरह क्यों अपनाया है? एक कारण यह हो सकता है कि एक परिवार एक ब्रांड के रूप में प्रभावी रूप से काम कर सकता है...अगर मतदाता किसी उम्मीदवार के पिता, चाची या भाई-बहन को स्वीकार करते हैं, तो वे शायद उम्मीदवार को स्वीकार कर लेंगे - विश्वसनीयता बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है। थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है।





