
रिटायरमेंट के 10 माह बाद Ex CJI चंद्रचूड़ को मिला काम, AM सिंघवी और गोपाल सुब्रमण्यम से कनेक्शन
संक्षेप: इससे पहले मई में जस्टिस चंद्रचूड़ को NLU दिल्ली में प्रोफेसर नियुक्त किया गया था। यूनिवर्सिटी ने इसे भारतीय कानूनी शिक्षा में एक नया और बड़ा कदम बताया था। जस्टिस चंद्रचूड़ पिछले साल 10 नवंबर 2024 को CJI के पद से रिटायर हुए थे।
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (Ex CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को रिटायरमेंट के 10 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले में मध्यस्थ नियुक्त किया है। वह देश की दो बड़ी कंपनियों के बीच वाणिज्यिक विवाद को बतौर मध्यस्थ सुलझाएंगे। ये दो बड़ी कंपनियां है, यूरो प्रतीक इस्पात (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड और जियोमिन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, जिनके बीच 1.7 लाख मीट्रिक टन लौह अयस्क को लेकर विवाद चल रहा है। शीर्ष न्यायालय ने 19 सितंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ को इस मामले में मध्यस्थ नियुक्त किया है।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मुकदमा हर सुनवाई के बाद जटिल और अस्पष्ट होता जा रहा है, इसलिए दोनों ही पक्षों को पूर्व CJI के समक्ष मध्यस्थता का सुझाव दिया गया, जिसे दोनों ही पक्षों ने मान लिया। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरो प्रतीक की तरफ से जहां वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं, वहीं जियोमिन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम पैरवी कर रहे हैं। दोनों वरिष्ठ वकीलों ने अपनी-अपनी कंपनियों की तरफ से पीठ के इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है, जिसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ को मध्यस्थ नियुक्त किया गया। दोनों ही वकीलों ने अपने कानूनी दांव पेंच से इस मामले को जटिल बना दिया था।
विवाद और मामला क्या है?
मामले में मध्यस्थ नियुक्ति से पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने 11 अगस्त को एक फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ यूरो प्रतीक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। हाई कोर्ट ने जियोमिन के मुकदमे को बहाल कर दिया था, जिसे वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 की धारा 12ए का पालन न करने के कारण वाणिज्यिक न्यायालय ने पहले ही खारिज कर दिया था।
धारा 12ए के अनुसार, ऐसा मुकदमा, जिसमें तत्काल अंतरिम राहत की संभावना न हो, तब तक शुरू नहीं किया जाएगा जब तक कि वादी पूर्व-संस्था मध्यस्थता के उपाय का उपयोग नहीं कर लेता। हाई कोर्ट ने पाया कि मुकदमे में तत्काल अंतरिम राहत की मांग की गई थी और इसलिए धारा 12ए लागू नहीं होती। इसलिए, उसने यूरो प्रतीक को विवादित लौह अयस्क के परिवहन या बिक्री पर तब तक रोक लगा दी जब तक कि सीपीसी के आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत निषेधाज्ञा याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता।
HC के आदेश के खिलाफ SC पहुंची यूरो प्रतीक
बाद में यूरो प्रतीक ने हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने Ex CJI जस्टिस चंद्रचूड़ को मध्यस्थ नियुक्त किया और उन्हें जल्द से जल्द एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ के आदेश में कहा गया है कि जस्टिस चंद्रचूड़ की फीस पक्षकारों के परामर्श से तय की जाएगी। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि मध्यस्थता के दौरान, दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखनी होगी। इसके अलावा, मध्यस्थ की रिपोर्ट प्राप्त होने तक दोनों पक्षों के बीच चल रहे सभी दीवानी और आपराधिक कार्यवाही पर भी रोक लगा दी गई है।
Ex CJI को पहले भी मिली है ये जिम्मेदारी
बता दें कि इससे पहले मई में जस्टिस चंद्रचूड़ को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली में प्रोफेसर नियुक्त किया गया था। यूनिवर्सिटी ने इसे भारतीय कानूनी शिक्षा में एक नया और बड़ा कदम बताया था। जस्टिस चंद्रचूड़ पिछले साल 10 नवंबर 2024 को CJI के पद से रिटायर हुए थे। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना CJI बने थे। वह भी रिटायर हो चुके हैं। जस्टिस खन्ना के बाद फिलहाल जस्टिस बीआर गवई CJI हैं। वह भी इसी साल रिटायर होने वाले हैं।





