Hindi Newsदेश न्यूज़sarojini naidu in south africa britishers scared bill against indians

भारतीय कवयित्री ने दक्षिण अफ्रीका में कर दिया अंग्रेजों की नाक में दम, भारत वापसी पर खुश हो गए थे ब्रिटिशर्स

  • दक्षिण अफ्रीका में सरोजिनी नायडू ने अंग्रेज सरकार की नाक में दम कर दिया था। जब वह भारत लौटीं तो अंग्रेज अधिकारियों ने राहत की सांस ली।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानMon, 16 Sep 2024 06:53 AM
share Share

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल महिला नेताओं में 'भारत कोकिला' सरोजिनी नायडू के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। एक महिला कवयित्री और राजनेता सरोजिनी नायडू ने भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी अंग्रेजों को चुनौती दे दी थी। 1922 से 1926 तक वह दक्षिण अफ्रीका में वहां के भारतीयों के अधिकारों को बचाने के लिए आंदोलनरत थीं। इस दौरान उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय महिलाओं इतना सशक्त बना दिया कि वहां की राजनीति में आज भी उसका असर दिखाई देता है। वहीं भारतीयों और ब्लैक्स का शोषण करने वाले अंग्रेजों को उन्होंने इतना डरा दिया था कि वे बस किसी तरह उन्हें भारत वापस भेजने पर उतारू हो गए।

बात 28 फरवरी 1924 की है। सरोजिनी नायडू जोहान्सबर्ग के वांडरर्स हॉल में भाषण देने पहुंची थीं। उन्होंने ऐसा भाषण दिया कि वहां कि अंग्रेज सरकार घबरा गई। उन्होंने कहा, वे अपने आप को मास्टर समझते हैं और भारतीयों को असभ्य कहते हैं। उन्हें लगता है कि हमने जीता है, हम शासन करेंगे, हम दूसरों को पैरों तले रौंद देंगे, जहां बगीचे हैं वहां कब्रिस्तान बना देंगे। डंडे के भरोसे पर लोगों से जो चाहेंगे करवाएंगे और जो भी आंख दिखाएगा उसकी आंखें निकाल लेंगे।

भारतीयों के खिलाफ कानून बना रही थी ब्रिटिश सरकार

उन्होंने आगे कहा, अगर ब्रटिशर्स को लगता है कि वे कामयाब हो गए हैं और हमें रौंद दिया है तो यह भ्रम मात्र है। आखिर में यह धरती उनके असली हकदारों की ही है। सरोजिनी नायडू केन्या और मोजांबिक होकर जोहान्सबर्ग पहुंची थीं। उस वक्त अंग्रेज प्रधानमंत्री जैन समुत्स के क्लास एरिया बिल के खिलाफ उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया।

ब्रिटिश सरकार कानून बनाकर भारतीयों को व्यापार करने से वंचित करना चाहती थी। इसके अलावा भारतीयों के रहने पर भी प्रतिबंध लगाने की योजना थी। दो महीने में सरोजिनी नायडू ने दक्षिण अफ्रीका के बड़े शहरों में भाषण दिए। वह नस्लभेद, उपनिवेश और महिलाओं के मामले में खुलकर अपने विचार रखती थी। एक ऐसा देश जहां अंग्रेजों की सरकार थी। वहीं वह ऐसे देश सेआई थीं जहां अंग्रेजों का शासन था। ऐसे में भी उनका इस तरह बोलना बेहद हिम्मत का काम था।

जोहान्सबर्ग में ब्रिटिश सरकार को इस तरह लताड़ने के बाद उन्होंने भारतीय महिलाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा, मैं नहीं चाहती कि कोई भारतीय महिला कहे कि वह अंग्रेज महिलाओं से अलग है। मैं भेदभाव में यकीन नहीं करती। महिलाओं को इस दुनिया की अगुआई करनी है। अगर महिलाएं सशक्त रहेंगी तो पूरी दुनिया ताकतवर हो जाएगी। केवल अपने बारे में ना सोचिए बल्कि अपने अधिकारियों के लिए लड़ना सीखिए क्योंकि आप महिला हैं।

सरोजिनी नायडू जब अफ्रीके से भारत लौटीं तो वहां के अंग्रेजों को राहत मिली। दक्षिण अफ्रीका की एक महिला राजनेता ने कहा कि सरोजिनी नायडू का वहां जाना एक लाइट बल्ब की तरह था जिसने महिलाओं को रोशनी दी और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। इसी का परिणाम है कि दक्षिण अफ्रीका में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़कर काम कर रही हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें