
एकनाथ शिंदे के गुरु आनंद दिघे के बारे में क्या बोल गए संजय राउत, मचा बवाल
संक्षेप: आनंद दिघे को शिवेसना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राजनीतिक गुरु माना जाता है। कहा जाता है कि साल 1997 में हुए ठाणे नगर निगम चुनाव में उन्होंने शिंदे की जीतने में मदद की थी। सड़क हादसे का शिकार होने के बाद दिघे साल 2001 में दुनिया को अलविदा कह गए थे।
शिवसेना कार्यकर्ताओं ने पार्टी के दिवंगत नेता आनंद दिघे के बारे में कथित अपमानजनक बयान दिए जाने के विरोध में शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत का पुतला फूंका। यह विरोध प्रदर्शन दिघे के स्मारक और पूर्व में कार्यालय रहे आनंद आश्रम पर किया गया। दिघे अविभाजित शिवसेना की ठाणे जिला इकाई के प्रमुख नेता थे और उन्हें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे का मार्गदर्शक माना जाता है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके जन्मदिन की बधाई देने के लिए शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी द्वारा प्रकाशित एक अखबार के विज्ञापन पर टिप्पणी करते हुए राउत ने कहा कि इसमें शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की एक छोटी सी तस्वीर थी और उनके बगल में दीघे की तस्वीर थी, जो पार्टी की जिला इकाई के प्रमुख थे।
राउत ने कहा कि एक ‘प्रिय सहयोगी’ होने के बावजूद दिघे पार्टी के उपनेता तक नहीं थे और पूछा कि क्या शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना अब उनकी तुलना ठाकरे से कर रही है।
कौन थे आनंद दिघे
दिघे को शिवेसना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राजनीतिक गुरु माना जाता है। कहा जाता है कि साल 1997 में हुए ठाणे नगर निगम चुनाव में उन्होंने शिंदे की जीतने में मदद की थी। साथ ही जब एक हादसे में शिंदे के बच्चों का निधन हो गया था, तब दिघे ही उनके साथ खड़े रहे थे और मदद की थी। साल 2001 में वह एक सड़क हादसे का शिकार हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
हादसे के बाद उन्हें सुनीतीदेवी सिंघानिया अस्पताल ले जाया गया था। इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने के कारण उनकी मौत हो गई थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)





