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भारत में रूसी दूतावास ने रची साजिश, महिला को करवाया फरार; SC की इज्जत का सवाल

भारत में रूसी दूतावास ने रची साजिश, महिला को करवाया फरार; SC की इज्जत का सवाल

संक्षेप: बसु के भारतीय पति ने एक सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के सामने दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें आरोप लगाया गया कि रूसी राजनयिकों ने न केवल विक्टोरिया की मदद की, बल्कि उनके भागने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की।

Tue, 16 Sep 2025 07:55 AMAmit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक लापता रूसी महिला से जुड़ी साजिश की “गहन जांच” का निर्देश दिया। विक्टोरिया बसु नाम की इस महिला पर अपने बच्चे के साथ देश से भागने और शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने पहली बार अदालत के समक्ष खुलासा किया कि इस साजिश में एक वरिष्ठ रूसी राजनयिक शामिल था, जिसने उसके भागने की “व्यवस्था” की थी।

न्यायमूर्ति सूर्या कांत और ज्योमल्या बागची की पीठ ने दिल्ली पुलिस की "लापरवाही" पर कड़ी नाराजगी जताई और रूसी दूतावास के अधिकारियों की संलिप्तता की जांच के लिए सख्त निर्देश जारी किए। हालांकि अदालत ने कहा कि भारत और रूस के मजबूत द्विपक्षीय रिश्तों के चलते वह इस मामले में कठोर टिप्पणी करने से परहेज कर रही है। यह मामला रूसी महिला विक्टोरिया बसु से जुड़ा है। उसका अपने भारतीय पति के साथ वैवाहिक विवाद चल रहा है। बसु ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चे के साथ देश छोड़ दिया।

राजनयिक आर्थर गेर्ब्स्ट ने रची साजिश?

दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी दूतावास के एक वरिष्ठ राजनयिक आर्थर गेर्ब्स्ट ने भारतीय व्यवसायी विवान सहगल को विक्टोरिया के लिए टैक्सी की व्यवस्था करने और ड्राइवर के लिए 75,000 रुपये नकद भुगतान का इंतजाम करने का निर्देश दिया। सहगल पिछले 15 वर्षों से रूसी कंपनियों के साथ जुड़ा रहा है और नियमित रूप से रूसी दूतावास में आधिकारिक काम के लिए जाता था।

इस पर जस्टिस सूर्य कांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली पुलिस की आलोचना की, क्योंकि उसने रूसी दूतावास के कर्मचारियों से पूछताछ नहीं की, जहां विक्टोरिया आखिरी बार जुलाई में भारत से भागने से पहले गई थी। जांच में पता चला कि बासु ने दिल्ली से बिहार तक टैक्सी ली, नेपाल में प्रवेश किया, फिर शारजाह के लिए उड़ान भरी और वहां से रूस पहुंच गई, जहां वह वर्तमान में रह रही है।

पीठ ने कहा, "यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन है और यह रूसी दूतावास के कुछ अधिकारियों सहित दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में नामित व्यक्तियों की सक्रिय मिलीभगत और सांठगांठ के कारण हुआ है।" पीठ ने आगे कहा, “हमें इस बात का अंदाजा है कि वह (महिला) कैसे भागी और किसकी मदद से भागी। लेकिन भारत और रूस के गहरे रिश्तों को देखते हुए हम इस पर कठोर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।” अदालत ने कहा कि अब यह विदेश मंत्रालय, भारत के मॉस्को स्थित दूतावास और दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के लिए एक कूटनीतिक चुनौती है। अदालत ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों की एजेंसियां इस मसले का समाधान निकालेंगी और बच्चे को सुप्रीम कोर्ट की हिरासत में वापस लाने के लिए कदम उठाएंगी।

पुलिस की स्थिति रिपोर्ट में खुलासा

दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी दूतावास के काउंसलर हेड आर्थर गेर्ब्स्ट ने जिस विवान सहगल को महिला के लिए टैक्सी की व्यवस्था करने को कहा था उससे पूछताछ की गई है। सहगल ने बताया कि वह पिछले 15 वर्षों से रूसी कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं और 4 जुलाई 2025 को वीजा विस्तार के लिए रूसी दूतावास गया था। गेर्ब्स्ट ने उसे दिल्ली से सनौली (उत्तर प्रदेश) तक टैक्सी बुक करने को कहा, जिसे बाद में दिल्ली से नरकटियागंज (बिहार) तक बदल दिया गया। टैक्सी केटीसी (इंडिया) लिमिटेड से बुक की गई थी। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 9 जुलाई को जब सहगल वीजा लेने गए, तो गेर्ब्स्ट ने उन्हें ड्राइवर को देने के लिए 75,000 रुपये नकद दिए। पुलिस ने सहगल और ड्राइवर दोनों के बयान दर्ज किए हैं।

भारतीय पति का आरोप

विक्टोरिया बसु के भारतीय पति ने एक सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के सामने दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें आरोप लगाया गया कि रूसी राजनयिकों ने न केवल विक्टोरिया की मदद की, बल्कि उनके भागने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की। हांगकांग की एक एजेंसी के माध्यम से हवाई टिकट खरीदे गए। पीठ ने इन दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा, "ये दस्तावेज स्पष्ट रूप से रूसी दूतावास के अधिकारियों और अन्य निजी व्यक्तियों की मिलीभगत को दर्शाते हैं। वित्तीय सहायता कैसे प्रदान की गई, टिकट कैसे खरीदे गए - इनकी गहन जांच की आवश्यकता है।" कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की "लापरवाही" की भी आलोचना की, जिसके कारण यह अपहरण संभव हो सका।

विदेश मंत्रालय और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई

केंद्र की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि दिल्ली पुलिस और विदेश मंत्रालय (एमईए) बासु और बच्चे का पता लगाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। 22 अगस्त के एक पूर्व निर्देश के आधार पर, एमईए ने म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी (एमएलएटी) के तहत रूस से संपर्क किया है ताकि उनके ठिकाने का पता लगाया जा सके।

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हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा देखी गई एमईए की एक अलग रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने एमएलएटी के तहत रूस से न केवल विक्टोरिया और बच्चे की स्थिति की पुष्टि करने, बल्कि गेर्ब्स्ट की कथित भूमिका की जांच करने का भी अनुरोध किया है। कोर्ट ने कहा, "फिलहाल हम उन अधिकारियों को निर्देश जारी करने में असमर्थ हैं, जिनसे मामले को राजनयिक चैनलों के माध्यम से उठाने की आवश्यकता है।" कोर्ट ने यह भी कहा कि विदेश मंत्रालय को स्थापित राजनयिक रास्तों के माध्यम से इस मामले को आगे बढ़ाना होगा।

मामले को 10 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है ताकि विदेश मंत्रालय और दिल्ली पुलिस नई स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकें। इस बीच, दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह बासु के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया में है और उसने विदेश मंत्रालय से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या विक्टोरिया या बच्चे को नए रूसी पासपोर्ट जारी किए गए हैं। बच्चे का भारतीय पासपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के पास है, जिसके बारे में पीठ ने चिंता जताई कि बच्चे का देश छोड़ना केवल नए या जाली पासपोर्ट के साथ ही संभव हो सकता था।

कोर्ट ने पहले दिल्ली पुलिस और विदेश मंत्रालय पर इस मामले को "सिर्फ एक और वैवाहिक विवाद" के रूप में लेने का आरोप लगाया था। 1 अगस्त की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था, "बच्चे को भारत के सुप्रीम कोर्ट की हिरासत से छीन लिया गया है।" कोर्ट ने अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और अधिकार को बनाए रखने की याद दिलाई थी।

विक्टोरिया 2019 में भारत आई थीं और 2023 में अपने पति से वैवाहिक विवाद के बाद बच्चे की फुल कस्टडी के लिए कोर्ट में गई थीं। असफल सुलह प्रयासों के बाद, मई में कोर्ट ने साझा कस्टडी का आदेश दिया, जिसमें प्रत्येक माता-पिता को सप्ताह में तीन दिन बच्चे के साथ समय बिताने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने विक्टोरिया का वीजा भी बढ़ाया था और पुलिस को उनके निवास पर निगरानी रखने का निर्देश दिया था।

7 जुलाई को, उनके पति ने उनकी गायब होने की सूचना दी। शुरुआती पुलिस तलाश में हवाई अड्डों और सीमावर्ती राज्यों में खोजबीन शुरू की गई, लेकिन बाद में एक जटिल भागने की योजना का खुलासा हुआ: बासु ने दिल्ली से टैक्सी ली, 12 जुलाई को नेपाल में प्रवेश किया, और फिर शारजाह के रास्ते रूस भाग गईं।