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मूवी टिकट के दाम 200 रुपये से ज्यादा नहीं, हाई कोर्ट ने लगा दी कर्नाटक सरकार के फैसले पर रोक

मूवी टिकट के दाम 200 रुपये से ज्यादा नहीं, हाई कोर्ट ने लगा दी कर्नाटक सरकार के फैसले पर रोक

संक्षेप: मूवी टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपये निर्धारित करने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। फिल्म एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।

Tue, 23 Sep 2025 01:28 PMAnkit Ojha लाइव हिन्दुस्तान
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मूवी टिकट के दाम अधिकतम 200 रुपये तक सीमित करने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। जस्टिस रवि वी होसमानी ने एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए मल्टीप्लेक्स के मालिकों को राहत दी है। मल्टीप्लेक्स असोसिएशन ने एक याचिका फाइल कर कर्नाटक सिनेमा रेग्युलेशन रूसल 2025 को चुनौती दी थी। इस नियम में कहा गया था कि फिल्म के टिकट की कीमत 200 रुपये से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती।

फिल्म प्रड्यूसर्स, मल्टीप्लेकस एसोसिएशन ऑफ इंडिया औ पीवीआर आईनॉक्स के शेयरहोल्डर्स ने मिलकर हाई कोर्ट में अपील की थी। याचिका में कहा गया था कि सभी थिएटर में इस तरह से टिकट की कीमतों को सीमित कर देने से नुकसान होगा। याचिका में कहा गया कि सिंगल स्क्रीन थिएटर के मुकाबले मल्टीप्लेक्सेज में सुविधाएं ज्यादा होती हैं। ऐसे में वहां फिल्म दिखाने का खर्च भी ज्यादा आता है।

याचिका में कहा गया था कि कि ओटीटी प्लैटफॉर्म, सैटलाइट टीवी और मनोरंजन के अन्य साधनों पर कड़े नियम नहीं हैं। वहीं इस तरह के नियम केवल थिएटर पर ही लगाए जा रहे हैं। एसोसिएशन ने कहा कि सरकार के ये नियम संविधान के आर्टिकल 19 (1) (g) का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि मल्टीप्लेक्स में टेक्नॉलजी, इनवेस्टमेंट, फॉर्मेट पर ज्यादा खर्च होता है और इसका बिना ध्यान दिए ही नियम बनाना गलत है। नियम में 75 सीट या उससे कम सीट वाले मल्टी स्क्रीन प्रीमियम सिनेमा को छूट दी गई थी। हालांकि इसको पारिभाषित नहीं किया गया था।

राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सभी को मनोरंजन का अधिकार है और ऐसे में जनता के हित में यह फैसला लिया गया है। एसोसिएशन की तरफ से पेश हुए वकील अदया होला ने कहा कि इस तरह से 200 रुपये का कैप निर्धारित कर देना मनमाना रवैया है। उन्होंने कहा कि ग्राहक ज्यादा पैसे खर्च करके भी लग्जरी सिनेमा देखना चाहता है। ऐसे में एग्जिबिटर्स को भी लग्जरी चीजें उपलब्ध करवाने के लिए कीमत निर्धारित करने की छूट मिलनी चाहिए।

कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि इसी तरह का मामला एक अन्य राज्य में भी था। कर्ट में जाने के बाद नियम बदलना पड़ा था। एक अन्य वकील ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार को पड़ना ही नहीं चाहिए। यह मामला ग्राहकों और थिएटर मालिकों के बीच का है।

Ankit Ojha

लेखक के बारे में

Ankit Ojha
अंकित ओझा पिछले 8 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। अंकित ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक के बाद IIMC नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया है। इसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है। राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेस्क पर कार्य करने का उनके पास अनुभव है। इसके अलावा बिजनेस और अन्य क्षेत्रों की भी समझ रखते हैं। हिंदी, अंग्रेजी के साथ ही पंजाबी और उर्दू का भी ज्ञान है। डिजिटल के साथ ही रेडियो और टीवी के लिए भी काम कर चुके हैं। और पढ़ें
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