Hindi NewsIndia NewsRight-wing Christian group Targets writer M Leelavathi for not celebrating birthday in Gaza support
'कश्मीर में 27 की मौत पर परेशानी नहीं हुई', गाजा के समर्थन में बर्थडे नहीं मना रहीं एम लीलावती पर CASA

'कश्मीर में 27 की मौत पर परेशानी नहीं हुई', गाजा के समर्थन में बर्थडे नहीं मना रहीं एम लीलावती पर CASA

संक्षेप: लीलावती टीचर के नाम से मशहूर लेखिका ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह बुढ़ापे को उत्सव नहीं, बल्कि चिंतन का समय मानती हैं और उन्होंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। उन्होंने कहा कि मैं सभी को समान मानती हूं, चाहे उनका धर्म, देश या जाति कुछ भी हो।

Tue, 16 Sep 2025 04:32 PMDevendra Kasyap लाइव हिन्दुस्तान, कोच्चि
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केरल की प्रसिद्ध लेखिका, साहित्यिक आलोचक और शिक्षाविद एम लीलावती ने अपना 98वां जन्मदिन नहीं मनाने का फैसला किया है। उन्होंने इसके लिए गाजा संकट को कारण बताया। उन्होंने कहा कि जब मैं गाजा में बच्चों को भोजन के लिए कटोरे फैलाते देखती हूं, तो मेरा गला रूंध जाता है, मैं खाना कैसे खा सकती हूं? इस बयान के चलते एम लीलावती ट्रोलर्स के निशाने पर आ गईं। ट्रोलर्स ने तंज कसते हुए कहा कि शायद आप सादे चावल से ऊब गई हैं। एक अन्य यूजर ने लिखा कि टीचर, मंडी के चावल क्यों नहीं आजमातीं? शायद बुढ़ापे में आपको कुछ खुशी मिले।

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दक्षिणपंथी ईसाई समूह ने बनाया निशाना

बता दें कि एम लीलावती को निशाना बनाने का नेतृत्व केरल स्थित दक्षिणपंथी ईसाई समूह CASA (क्रिश्चियन एसोसिएशन एंड अलायंस फॉर सोशल एक्शन) ने किया। इस समूह ने अपने फेसबुक पेज पर इजरायल में आतंकवादी हिंसा और कश्मीर में हुई हत्याओं का जिक्र कर उनका मजाक उड़ाया और उनके 'चुनिंदा आक्रोश' पर सवाल उठाए। एक पोस्ट में लिखा कि अम्माची, जब कश्मीर में 27 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या हुई थी, तब आपको खाने में कोई परेशानी नहीं हुई थी, ना? अगर आप चावल खाकर थक गई हैं और अब हलाल कुझीमंडी खाने का मन है, तो सावधान रहें, कहीं आपके गले में हड्डी न फंस जाए।

बुढ़ापा उत्सव नहीं, चिंतन का समय

लीलावती टीचर के नाम से मशहूर लेखिका ने मीडिया से बातचीत में दोहराया कि वह बुढ़ापे को उत्सव नहीं, बल्कि चिंतन का समय मानती हैं और उन्होंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। उन्होंने कहा कि मैं सभी को समान मानती हूं, चाहे उनका धर्म, देश या जाति कुछ भी हो। उन्होंने बताया कि 2019 में वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित बच्चों की दुर्दशा सुनने के बाद उन्होंने ओणम पर केवल चावल का दलिया खाया था। उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए हर जगह के बच्चे एक जैसे हैं। जो लोग मेरा विरोध करते हैं, वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। मेरी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। बता दें कि अगस्त 2019 में वायनाड के पुथुमाला और कवलप्पारा में हुए विनाशकारी भूस्खलन में 76 लोगों की जान गई थी।

एम लीलावती के समर्थन में लेखक सी राधाकृष्णन

एम लीलावती का बचाव करते हुए लेखक सी राधाकृष्णन ने कहा कि यह बहुत ही घटिया है। अपनी 98वीं जन्मदिन पर एक सम्मानित शिक्षिका ने अपना दुख व्यक्त किया। गाजा में बच्चों की मौत देखकर उनका दिल टूट गया है। वह किसी भी भोजन का आनंद नहीं ले पा रही हैं। अधिकांश लोगों ने उनकी भावना को समझा, लेकिन कुछ ने इसे सांप्रदायिक मुद्दे में बदल दिया और गाली-गलौज का सहारा लिया। कुछ लोग इतने जहरीले हो गए हैं कि वे बच्चों के लिए एक मां के दर्द को नहीं समझ सकते, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता की हो।

Devendra Kasyap

लेखक के बारे में

Devendra Kasyap
देवेन्द्र कश्यप, लाइव हिंदुस्तान में चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर। पटना से पत्रकारिता की शुरुआत। महुआ न्यूज, जी न्यूज, ईनाडु इंडिया, राजस्थान पत्रिका, ईटीवी भारत और नवभारत टाइम्स ऑनलाइन जैसे बड़े संस्थानों में काम किया। करीब 11 साल से डिजिटल मीडिया में कार्यरत। MCU भोपाल से पत्रकारिता की पढ़ाई। पटना व‍िश्‍वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन। फिलहाल लाइव हिन्दुस्तान में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर सेवा दे रहे हैं। और पढ़ें
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