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राहुल गांधी के आरोप के बाद बड़ा सवाल- पड़ोसी वोटर लिस्ट से आपका नाम हटवा सकता है? जानें
संक्षेप: चुनाव आयोग की 2018 की नियमावली के अनुसार, बीएलओ को अपने क्षेत्र के गांवों का नियमित दौरा करना चाहिए और स्थानीय लोगों, विशेष रूप से बुजुर्गों और जमीनी स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधियों से बातचीत कर मृत, स्थानांतरित या डुप्लिकेट मतदाताओं की पहचान करनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच वोट चोरी के मुद्दे पर विवाद जारी है। गुरुवार को राहुल गांधी ने मीडिया के सामने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर 'भारतीय लोकतंत्र को नष्ट करने वालों को बचाने' का आरोप लगाया। जवाब में चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को गलत और निराधार बताया। राहुल गांधी ने कर्नाटक के अलंद विधानसभा सीट का उदाहरण दिया। चुनाव आयोग ने कहा कि 2023 में अलंद में मतदाता सूची से नाम हटाने के कुछ असफल प्रयास हुए थे, जिनकी जांच के लिए FIR दर्ज की गई थी।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, 2023 में अलंद से ऐसे मामले सामने आए थे। उस समय एक मतदाता ने दावा किया था कि उसकी बहन, जो बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) है, को फॉर्म 7 के जरिए उसके परिवार के कई सदस्यों के नाम हटाने के आवेदन मिले थे। ये आवेदन इस आधार पर थे कि वे कथित तौर पर बाहर चले गए हैं, जबकि ऐसा नहीं था। उस समय कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया था और अलंद सहित अन्य सीटों के लिए चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करने की बात कही थी। पुलिस में भी मामला दर्ज हुआ था।
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि कोई भी आम व्यक्ति ऑनलाइन तरीके से किसी का वोट नहीं हटा सकता। प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना नाम नहीं हटाया जा सकता। नियमों के अनुसार, बीएलओ किसी मतदाता की मृत्यु या स्थानांतरण के आधार पर नाम हटाने का आवेदन कर सकता है, लेकिन इसके लिए सत्यापन अनिवार्य है।
बूथ लेवल ऑफिसर कौन होता है?
बूथ लेवल ऑफिसर आमतौर पर स्थानीय सरकारी कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, या सरकारी स्कूल शिक्षक होता है, जो उस क्षेत्र का रजिस्टर्ड मतदाता होता है और वहां के निवासियों से परिचित होता है। बीएलओ, चुनाव आयोग के स्थानीय प्रतिनिधि के रूप में मतदाता सूची को अपडेट करने में मदद करता है।
चुनाव आयोग की नियमावली क्या कहती है?
चुनाव आयोग की 2018 की नियमावली के अनुसार, बीएलओ को अपने क्षेत्र के गांवों का नियमित दौरा करना चाहिए और स्थानीय लोगों, विशेष रूप से बुजुर्गों और जमीनी स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधियों से बातचीत कर मृत, स्थानांतरित या डुप्लिकेट मतदाताओं की पहचान करनी चाहिए।
मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया क्या है?
चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं...
फॉर्म 7 भरना: कोई भी मतदाता या बीएलओ फॉर्म 7 भर सकता है, जिसमें नाम हटाने का कारण (जैसे मृत्यु या स्थानांतरण) और अन्य विवरण दर्ज किए जाते हैं।
सत्यापन: बीएलओ के दावों का सत्यापन क्षेत्रीय सत्यापन अधिकारी द्वारा किया जाता है।
नोटिस और सुनवाई: नाम हटाने से पहले संबंधित मतदाता को नोटिस जारी किया जाता है और आपत्ति दर्ज करने व सुनवाई का अवसर दिया जाता है।
आवेदन प्रक्रिया: फॉर्म 7 को ऑनलाइन (वोटर सर्विसेज पोर्टल के माध्यम से) या ऑफलाइन (बीएलओ कार्यालय में जमा करके) दाखिल किया जा सकता है।
पूरी प्रक्रिया क्या है?
राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से फॉर्म 7 डाउनलोड करें या बीएलओ कार्यालय से प्राप्त करें।
फॉर्म में नाम, EPIC नंबर, सीरियल नंबर, और नाम हटाने का कारण आदि भरें।
फॉर्म को बीएलओ कार्यालय में जमा करें या ऑनलाइन वोटर सर्विसेज पोर्टल पर सबमिट करें।
आवेदन की जांच होगी। मृत्यु के मामले में मृत्यु प्रमाण पत्र या स्थानांतरण के मामले में पता प्रमाण मांगा जा सकता है।
यदि निर्वाचन पंजीयन अधिकारी (ERO) संतुष्ट हो, तो नाम हटा दिया जाता है और निर्णय की सूचना दी जाती है। अन्यथा, सुनवाई आयोजित की जाती है।
आवेदन की स्थिति को NVSP पोर्टल या राज्य निर्वाचन कार्यालय के माध्यम से ट्रैक किया जा सकता है।